होम्योपैथिक, योग और प्राकृतिक चिकित्सालय दिलाए कमर दर्द, पीठ दर्द, सुनपन व गाठिया से निजात

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सियाटिका के मरीजों में कमर में बेतहाशा दर्द और फिर साथ में सूजन होने की ज्यादातर संभावना होती है। इसका दर्द इतना तेज होता है कि जो अहसनीय हो जाता है। यह पीड़ा हिप ज्वाइंट के पीछे से प्रारंभ होकर, धीरे-धीरे तीव्र होती हुई तंत्रिका तंत्र से होते हुए पैर के अंगूठे तक फैलती है। इसमें घुटने और टखने के पीछे भी काफी दर्द रहता है। कभी-कभी शरीर के इन भागों में शून्यता भी होती है। इससे पैरों में सिकुडन भी हो जाती है जिससे मरीज बिस्तर से उठ नहीं पाता है। आम तौर पर इसमें बिजली के झटके जैसा दर्द होता है। इससे जलन पैदा होती है और कई बार ‘पैरों के सो जाने’ जैसी अनुभूति भी होती है। कभी-कभी एक ही पैर के एक भाग में दर्द होता है और दूसरा भाग सुन्न हो जाने का एहसास देता है.

सियाटिका के कारण

वास्तव में सियाटिका दर्द का नाम सियाटिका नाम की नस से पड़ा है जो कि कमर से पैर की तरफ जाती है और कई छोटी नसों के समूह से यह एक मोटी रस्सी के रूप में परिवर्तित हो जाती है। सियाटिका के दर्द का सबसे सामान्य कारण हरनिएटेड डिस्क अथवा स्लिप्ड डिस्क होता है। जब हम चलते हैं, झुकते हैं अथवा वजन उठाते हैं तो ये शॉक ऑवजर्वर की तरह काम करते हैं। अगर डिस्क का ऊपरी सिरा फट जाए तो बीच वाला हिस्सा सियाटिका नस पर दबाव डालता है और फिर सियाटिका का दर्द शुरू हो जाता है।  सियाटिका नसें शरीर की सबसे बड़ी नसें होती हैं और इसकी मोटाई हमारी छोटी उंगली के बराबर होती है। बहुत से लोग जिन्हें स्पाइन सेनोसिस होता है उनकी पीठ के दोनों ओर सियाटिका का दर्द हुआ करता है। उम्र बढ़ने के ऑस्टोऑर्थराइटिस जैसे प्रभावों के कारण भी सियाटिका हो सकता है। बहुत सी महिलाएं गर्भावस्था के दौरान भी सियाटिका के दर्द का अनुभव करती हैं। डॉक्टर छाबड़ा का कहना है कि सियाटिका कभी-कभी बड़ी उम्र में हड्डियों तथा हड्डियों को जोडने वाली चिकनी सतह के घिस जाने के कारण होता है। वैसे तो यह बीमारी ज्यादा उम्र के लोगों के साथ देखने को मिलती है। इसके अलावा यह परेशानी ज्यादातर मेहनत करने और भारी वजन उठाने से व्यक्तियों में ज्यादा देखने को मिलती है। सियाटिका मुख्य स्लिप डिस्क है जिसमें कि डिस्क पैर में जाने वाली नसों को दबा कर सियाटिका दर्द उत्पन्न करने लगती है। इस नस पर दबाव पड़ने के कई कारण भी हैं जैसे कि नस का रीढ़ की हड्डी से बाहर आने के रास्ते का संकरा हो जाना। इसे चिकित्सीय भाशा में लंबर स्टीनोसिस कहा जाता है। सियाटिका नस में तनाव के कारण होने वाला यह दर्द पीठ के सामान्य दर्द से अलग होता है. भले ही यह पीठ से शुरू होता हो लेकिन धीरे-धीरे बढ़ता हुआ पैरों तक पहुंच जाता है।

इलाज

सियाटिका में एमआरआई की सहायता से इलाज किया जाता है जिसमें करीब 90 प्रतिशत लोगों को इस परेशानी से निजात मिल जाती है। इसको पूरी तरह ठीक होने में करीब चार से आठ सप्ताह का समय लग जाता है।  होम्योपैथी चिकित्सा के साथ साथ हमारे संस्थान एडवांस होम्योपैथिक योग और प्राकृतिक चिकित्सालय, इंदौर पर इस तरह की परेशानी से लोगों को निजात  मिल रहा है।

 

डॉ. ए. के. द्विवेदी एमडी (होम्यो)पीएचडी
सदस्य वैज्ञानिक सलाहकार बोर्डसी.सी.आर.एच.आयुष मंत्रालयभारत सरकार
प्रोफेसरएसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजइंदौर
संचालकएडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर एवं होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च प्रा. लि.इंदौर
07314989287, 07314064471, 9993700880, 9826042287