मधुमेह से बचाव के साथ सभी उम्र के लिए हैं एक्युप्रेशर

Font size: Decrease font Enlarge font

शुगर की दिक्कत उन लोगों को ज्यादा होती जो मेहनत बहुत कम करते हैं और अक्सर बैठे रहते हैं। खाने में ज्यादा मात्रा में दूध, दही, मांस-मछली, नए चावल, आलू, चीनी आदि का सेवन करने से शुगर या मधुमेह का रोग हो जाता है। एक्यूप्रेशर विधि से इस रोग का निदान आसनी से किया जा सकता है। शुगर के रोगी के पैरों के अंगूठे, एड़ी, टांगे कमजोर पड़ जाती हैं। एक्यूप्रेशर तकनीक रोगी की प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है।

नर्व और मसल्स स्टिमुलेटर, फेरेडिक जेनेरेटर, एक्यूप्रेशर प्वांइट मॉर्कर, नर्व जेनरेटर और हैवी वाइब्रेटर जैसे एक्यूप्रेशर थेरेपी के उपकरण हैं। एक्यूप्रेशर चिकित्सा से शरीर में उन उर्जा केंद्रों को फिर से सक्रिय करने की कोशिश की जाती है जो कि किसी कारण से काम करना बंद कर देती हैं या सुस्त हो जाती हैं। एक्यूप्रेशर द्वारा मधुमेह रोगी के शुगर स्तर को कम किया जा सकता है। एक्यूप्रेशर का प्रयोग संवेदनशील त्वचा वाले रोगियों में लालिमा और चोट पहुंचा सकते हैं।

बच्चों के लिए एक्यूप्रेशर लाभदायक

किसी बच्चे के लिए सबसे सुखद एहसास माता-पिता का स्पर्श ही होता है। स्पर्श पाकर रोता हुआ बच्चा शांत हो जाता है। बच्चों की सामान्य बीमारियों और समस्याओं को एक्यूप्रेशर और मालिश द्वारा बहुत ही आसानी से दूर भगाया जा सकता है। एक्यूप्रेशर से बच्चे का तनाव, पेट संबंधी समस्याएं, डायरिया, सर्दी, दांतों का दर्द, रोना, सांस संबंधित समस्या और नींद न आने जैसी समस्याओं का समाधान आसानी से हो सकता है। एक्यूप्रेशर की तकनीक से बच्चों को जल्दी राहत मिल जाती है। बच्चे को अगर गंभीर बीमारी है तो एक्यूप्रेशर 2 दिन में एक बार देना चाहिए और यह भी ध्यान रहे कि प्रेशर बहुत हल्का हो।

बच्चों की उम्र और एक्यूप्रेशर

3 से 6 महीने तक के बच्चे के लिए एक दिन में एक्यूप्रेशर आधा से 1 मिनट तक के लिए। 6 से 12 महीने तक के बच्चे के लिए एक दिन में एक्यूप्रेशर 1 से 5 मिनट तक के लिए। 1 से 3 वर्ष तक के बच्चों के लिए एक दिन में एक्यूप्रेशर 3 से 7 मिनट तक के लिए। 3 से 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए एक दिन में एक्यूप्रेशर 5 से 10 मिनट तक के लिए।  

एक्यूप्रेशर से शुगर कंट्रोल करने के प्रमुख बिंदू

एक्यूप्रेशर प्वांइट-1

यह प्वाइंट पैर के निचले हिस्से के अंदरूनी भाग में होता है। यह प्वाइंट पिंडली की हड्यिों और टखने की हड्यिों के उपर की चार अंगुलियों के पीछे की साइड पर होता है। इस निश्चित स्थान पर हल्के से दबाव बनाते हुए घेरा बनाकर क्लॉकवाइज हर रोज 3 मिनट तक दोनों पैरों में

घुमाइए। इसे 8-12 सप्ताह तक कीजिए। इसे करने स्प्लीन-6 (प्लीहा) प्वाइंट भी कहते हैं। इसे करने से किडनी, लीवर और प्लीहा से संबंधित विकार समाप्त होते हैं।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 2

यह प्वाइंट पैर के अंगूठे और उसके बगल की छोटी उंगली के बीच में होता है। इसे लीवर-3 प्रेशर भी कहते हैं। इस बिंदु को दबाकर धीरे से एंटी- क्लॉकवाइज घेरा बनाकर 3 मिनट तक प्रत्येक दिन और लगातार 8-12 सप्ताह तक कीजिए। इसे करने से आराम मिलता है और व्यॉक्ति तनाव में नहीं रहता।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 3

यह प्वाइंट पैर के अंदरूनी हिस्से में होता है। टखने की हड्डी और स्नायुजल के बीच में यह प्वा्इंट होता है। इसे किडनी-3 प्वाइंट भी कहा जाता है। इस प्वाइंट का घेरा बनार क्लॉकवाइज 3 मिनट तक हर रोज 8-12 सप्ताह तक करें। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और थकान को दूर भगाता है।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 4

यह प्वाइंट पैर के निचले हिस्से के सामने की तरफ बाहरी मेलीलस से 4 इंच उपर की तरफ होता है। इसे स्टम-40 एक्यूप्रेशर प्वाइंट भी कहते हैं। इस प्वाइंट पर हल दबाव बनाते हुए क्लॉकवाइज 3 मिनट तक हर रोज घुमाइए। इसे 8-12 सप्ताह तक कीजिए। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन) और अवांछित स्राव को बाहर निालता है। शुगर के इलाज के लिए एक्यूप्रेशर तकनीक सुरक्षित तरीके से प्रयोग करना चाहिए।