सोशल मीडिया पर आप भले ही फिटनेस के वीडियो पोस्ट करते पुरुष बिरादरी को बढ़-चढ़कर देख सकते हैं, लेकिन रिसर्च है कि दुनिया भर के सभी वेलनेस सेंटर में महिलाओं की तादाद पुरुषों की तुलना में बहुत ज़्यादा है। ख़ासकर योग में महिलाओं की भागीदारी का ट्रेंड सभी रिकॉर्ड को पीछे छोडऩे वाला है। चाहे पारंपरिक भारतीय योग लास हो या अमरीका में मौजूद शानदार मॉर्डन योग स्टूडियो। योगनियों (महिला योग प्रशिक्षक) का राज हर जगह है। योग कपड़े का बाजार हो या इन्स्टाग्राम पोस्ट, महिलाएं फ़ैन्सी योग पोज में पुरुष फिटनेस को चैलेंज देती नजर आती हैं। दरअसल योग ने महिलाओं की दुनिया बदल दी है, इसलिए नहीं कि योग का ट्रेंड चल पड़ा है, बल्कि महिलाओं के अंदर हो रही सभी तरह की शारीरिक, मानसिक, हॉर्मोनल और मूड बदलाव में योग सबसे भरोसेमंद सहयोगी बनकर सामने आया है। योग न सिर्फ़ किशोरावस्था में बल्कि उम्र के हर पड़ाव में मददगार साबित हो रहा है। महिलाओं की शारीरिक संरचना, उनके रोग और तकलीफ़ें पुरुषों से अलग होती हैं. ऐसे में महिलाओं के लिए कुछ चुनिंदा आसन हैं, जिसे आसानी से तकिये या फिर दीवार के सहारे से घर में किया जा सकता है। उन आसनों के लाभ भी समझिए...
1. बालकासन
लाभ: मन-मस्तिष्क में तुरंत शांति का अनुभव कराता है। ख़ासकर हॉर्मोनल बदलाव के वत यह आपकी मानसिक स्थिति को स्थिरता प्रदान करता है।
2. अधोमुख श्वान आसन
लाभ: पूरे शरीर का फैलाव कर स्फूर्ति देता है। शरीर के ऊपरी हिस्से, कंधे और हाथों को मज़बूती देता है। रक्त का प्रवाह सिर की तरफ़ रहने से मन को शांति और तनाव की स्थिति में तुरंत आराम मिलता है।
3. सेतुबंधासन
लाभ: पेल्विक और कोर को मज़बूती देने वाला यह आसन कई मामलों में फ़ायदेमंद है। गर्भधारण करने वाली महिलाओं के लिए, अनियमित परियड या पेनफुल पीरियड में असरदार होने के साथ सभी ज़रूरी अंगों में प्राण शक्ति का संचार करता है।
4. सुप्त बद्धकोणासन
लाभ: अनियमित या पेनफुल पीरियड में लाभ पहुंचाता है। डिलीवरी (प्रसव) के दौरान की शारीरिक तैयारी कराता है। इसे करने से फेफड़े और दिल को मज़बूती मिलती है।
5. उपविस्ट कोणासन
लाभ: योग मानता है कि उपविस्ट कोणासन पॉज़ीटिव ऊर्जा और सृजनात्मकता को बढ़ाता है। पीरियड से संबंधित अनियमितता और इन्फ़र्टिलिटी से छुटकारे में सहयोग देता है।
6. विपरीत करणी
लाभ: दीवार के सहारे पांव रखकर किए जाने वाले इस सरल आसन के इतने लाभ है कि यहां गिनाएं नहीं जा सकते हैं। पांव, घुटने, वैरिकॉज़ वेन से संबंधित दर्द में शीघ्र राहत देता है। इन्फ़र्टिलिटी, यूरीन संबंधित समस्या में फ़ायदा पहुंचाता है। इसके साथ ही तन-मन को शांत कर नई ऊर्जा से भरता है।
सावधानी: पीरियड के वक्त किसी भी विपरीत पोज़ीशन वाले आसन को ना करें।
7. प्राणायाम
आसन के बाद प्राणायाम का अपना ख़ास लाभ है। ख़ासतौर पर जितना फ़ोकस स्लो डीप ब्रीदिंग पर होगा, उतना ही वो तन-मन को बेहतर रखेगा। प्राणायाम न सिर्फ़ श्वास और जीवन के स्तर को बढ़ाता है, बल्कि तुरंत बिगड़े मूड को बेहतर करने में कारगर होता है।
प्राणायाम करने के तरीके
जब ऊर्जा कम हो: छोडऩे की तुलना में ज्यादा लंबी सांस लेने पर करें फ़ोकस, जैसे उज्जयी प्राणायाम।
भावनात्मक असंतुलन में: सांस के लेने-छोडऩे का अनुपात सामान रखें, जैसे भस्त्रिका प्राणायाम में।
तनाव में: लेने की तुलना में सांस के छोडऩे का अनुपात ज्यादा रखें, जैसे ओंकार, भ्रामरी प्राणायाम।
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