पिछले करीब 5 सालों से हर दिन नहाने के बाद 15 मिनट ताली बजाता हूँ। मेरा अनुभव रहा है कि बेहद खराब जीवन शैली व रोगों के घर मोटापे के बावजूद केवल इस आदत ने अब त मेरी रक्षा की है। ताली बजाने के फायदे पर मेरा भरोसा इस दर बढ़ा है कि कोई पेट या सिर में होने वाली सिी भी परेशानी के लिए अच्छे डॉक्टर की सलाह माँगता है तो मैं पहले ताली की महिमा का बखान करने लग जाता हूँ। जिन लोगों ने मेरी यह सलाह मानी वे सभी मेरे शुक्रगुजार हैं।
पिछले महीने की एक घटना के बाद लगा कि मुझे अपना यह अनुभव विशाल पाठक वर्ग से भी बाँटना चाहिए। खबरों की टोह लेने कुछ लंबे छरहरे स्वास्थ्य रिपोर्टरों के साथ शास्त्री भवन में था। वहाँ खुली सस्ती जेनेरिक दवा की सरकारी दुकान में घुस गया। वहाँ कक्ष में बैठे एमबीबीएस डॉक्टर से हम सब ने अपना ब्लड-प्रेशर नपवाया। मेरे ब्लड-प्रेशर की 120/80 रीडिंग देख कर उन्हें सहज यकीन ही नहीं आया। 50 से अधिक उम्र और इतनी बड़ी तोंद के बावजूद इतना 'आदर्श' ब्लड-प्रेशर, कैसे संभव है। दूसरे साथियों का ब्लड-प्रेशर भी सामान्य था लेकिन इतना सामान्य नहीं था। जब मैंने डॉटर को ताली बजाने की बात बताई तो उन्हें बात तुरंत समझ में आ गई। वे भी ताली के फायदे से अच्छी तरह वाकिफ थे। उन्होंने कहा कि नियमित ताली बजाने वाले को कम से कम ब्लड-प्रेशर की बीमारी तो नहीं हो सकती। लेकिन अगर अपने अनुभव की बात करूँ तो ताली बजाने के अनगिनत फायदे हैं। नियमित रूप से ताली बजाकर कीर्तन-भजन करने वालों पर भगवान' की कितनी कृपा होती है यह तो किसी को पता नहीं लेकिन मेरा विश्वास है कि निश्चित रूप से कई रोग उनके पास नहीं फटक पाते होंगे।
दक्षेस देशों के स्वास्थ्य पत्रकारों के संगठन 'हेल्थ एसेईस्ट एंड ऑथर्स लीग' (हील) के संस्थापक सेक्रेटरी जनरल की हैसियत से पत्रकारों के वर्कशॉप में मैं यही कहते हुए शुरू करता था कि इतनी बड़ी तोंद होते हुए मुझे स्वास्थ्य पर भाषण देने का हक नहीं है। तोंद होना कई बीमारियों का घर माना जाता है लेकिन मैं अपने लंबे अनुभव के आधार पर अब स्वास्थ्य संपादक की हैसियत से यह दावे के साथ कह सकता हूँ कि ताली बजाने के कई फायदे हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में लंबे अनुभव को इलाज की किसी विधि के प्रभावी होने के प्रमाण के रूप पेश किया जा सकता है। ताली बजाना इलाज की प्रभावी विधि एक्यूप्रेशर का एक सहजतम रूप है। कभी मुझे अकसर डिप्रेशन (अवसाद) घेरे रहता था। सिर हमेशा भारी भारी, असर दर्द, पेट में गैस, कभी भी कुछ हो जाने का डर सवार रहता था। केवल ताली बजाने मात्र से मेरी सारी समस्याएँ दूर हो गई। आत्मविश्वास भी काफी बढ़ा है। लगता है, ताली बजाता रहूँ तो कभी कोई रोग होगा ही नहीं ।
ताली का इतना मुरीद इसलिए भी हूँ क्योंकि मेरी जीवन शैली अच्छे स्वास्थ्य के अनुरूप कतई नहीं है। रात को काफी देर से खाना खाता हूँ। टीवी देखने की इतनी बुरी आदत है कि नींद भाग जाती है। मुश्किल से 2-3 घंटे सो पाता हूँ। सुबह टहलने का तो सवाल ही नहीं। सोचिए, जीवन शैली ठीक होती तो ताली से और कितने फायदे हाते। ताली मुझे इस खराब जीवन शैली के दुष्प्रभाव से बचा रही है। ठीक से सो नहीं पाने की वजह से सुबह मन भारी जरूर लगता है लेकिन ताली बजाते ही इतना तरोताजा महसूस करने लगता हूँ कि मत पूछिए। सोचता हूँ कोई जादू तो नहीं हो गया। कहने का यह मतलब कतई नहीं है कि कोई गंभीर रोग है तो सबकुछ छोड़कर ताली पीटना शुरू कर दें। किडनी खराब हो गई है तो ताली पीटने से वह ठीक नहीं होने वाली। यह रोगों से बचाव में बहुत अधिक प्रभावी है लेकिन रोग हो गया है तो ताली उसकी दवा नहीं हो सकती। हाँ, इतना तय है कि इलाज के साथ-साथ ताली बजाएँ तो जल्दी फायदा जरूर होगा। मैं काँटेदार बेलन पर तलवे को 10 मिनट घिसता भी हूँ। यह भी एक्यूप्रेशर की ही विधि है।
मेरा एक दूसरा अनुभव भी बाँटने योग्य है। सिर के बाल के तेजी से झड़ने को रोकने की कवायद में खासा परेशान था । सिर के बीच में चाँद निकल आया था। कई उपाय किए। बाल झड़ना बंद नहीं हुआ। लगा इस गति से तो जल्द ही सफाचट हो जाएगा। तभी किसी ने सरसों तेल आजमाने की सलाह दी। तब से रोज नहाने के पहले पूरे माथे में चुपड़ लेता हूँ। फिर कुछ मिनट बाद तेल का प्रभाव खत्म करने के लिए शैंपू लगा लेता हूँ। मानें या न मानें, इस विधि के प्रयोग के बाद बाल का झड़ना जो रुका तो आज तक एक बाल भी बाँका नहीं हुआ है।
Home |
Set as homepage |
Add to favorites
| Rss / Atom
Powered by Scorpio CMS
Best Viewed on any Device from Smartphones to Desktop.
Post your comment