आजकल के बच्चों के लिए खेल का मतलब है टीवी के सामने बैठना, वीडियो गेम व कंप्यूटर पर खेलना। ऐसे में बच्चों के पूरे शरीर को व्यायाम की ज़रूरत है, यानी कि उसका मैदान में खेलना ज़रूरी है। ऐसे खेल जिनमें बच्चों को मेहनत करनी पड़ती है, वे बच्चों को मजबूत बनाते है। इससे बच्चों का वजन भी कम होता है। साथ ही अतिरिक्त उर्जा या एनर्जी बाहर निकालती है। ड्रग्स व मारपीट के डर से बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को बाहर खेलने नहीं देते। खास तौर से काम काज पर जाने वाले माता पिता, क्योंकि बच्चों की हिफाज़त के लिए वो हमेशा उनके पास नहीं रह सकते। ऐसे में अगर माता पिता को आफ्टर केयर व हॉलिडे केयर की सुविधा मिलती है, तो बच्चे को बाहर खेलने के लिए प्रोत्साहित करें।
आप बच्चे को उसके दादा दादी के साथ बाहर खेलने भेज सकते है। दूसरे बच्चों के माता-पिता के साथ बच्चों का एक ग्रुप बनाया जा सकता है, जो पार्क या गार्डन में साथ खेले। बड़े बच्चे भी आपके छोटे बच्चे की देखभाल कर सकते हैं। अगर स्कूल नज़दीक है तो बच्चे के साथ पैदल ही स्कूल जाएं। ये बच्चे की सुरक्षा के लिहाज़ से तो अच्छा है ही साथ ही उसका व आपका व्यायाम भी हो जाएगा। ये बच्चे के साथ बेहतरीन वक्त बिताने का अच्छा तरीका भी है। बच्चे को कंप्यूटर व टीवी के सामने 1 घंटे से ज़्यादा न बैठने दें। अगर आपका बच्चा कंप्यूटर इस्तेमाल करता है तो उस पर नजऱ रखें व देखें कि वो क्या करता है। इंटरनेट बच्चों के लिए खतरनाक भी हो सकता है। छुट्टियों में जब भी समय मिले तो पूरे परिवार के साथ बेहतर वक्त बिताएं। बच्चों के साथ ऐसे खेल खेलें जिसमें शारीरिक मेहनत हो, जैसे मैदानी खेल, दौड़ भाग, फुटबॉल, क्रिकेट आदि। आपको सक्रिय देखकर बच्चा भी सक्रिय (एक्टिव) होने की कोशिश करेगा। बच्चे को सक्रिय बनाकर व उसके साथ खेलकर उसे सडक़ व ड्रग्स आदि से दूर रखा जा सकता है। बच्चा कहां व किसके साथ है इस बात की जानकारी रखें। उसे स्कूल में या स्थानीय ब्लड वगैरह में खेलने के लिए प्रोत्साहित करें। जब वो कोई मैच खेले तो उसकी तारीफ करें।
हर अभिभावक की चिंता यह होती है कि वह अपने बच्चे को छुट्टियों में कोई अच्छा कोर्स कराये। यही वो समय होता है, जब बच्चे स्कूल के होम वर्क के साथ कुछ नया भी सीख सकते हैं। ऐसे में अभिभावकों को अपने बच्चे की रूचि जानने का प्रयास करना चाहिए। आपका बच्चा जिस काम में रूचि दिखाये, उसे वो सिखाने का प्रयास करें। बच्चे हर नई चीज सीखना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए क्या अच्छा, क्या बुरा है, यह तो बस अभिभवक ही जानते हैं। ऐसे में उन्हें खेल-खेल में अच्छी बातें आसानी से सिखाई जा सकती हैं। लेकिन छुट्टियो के समय में हज़ार गे्स देने के बाद भी यह सवाल हर मां को परेशान करता है कि, मैं बोर हो रहा हूं। तो क्यों ना बच्चों को कुछ ऐसे गेम्स दिये जायें, जिसमें वो अपनी मां और परिवार के साथ थोड़ा समय भी निकाल पायें और सेहत से संबंधी कुछ जानकारियां भी इकट्ठी कर पायें। ऐसी जानकारियां उन्हें पढ़ाई में भी काम आयेंगी। बहुत से बच्चों को किचन में काम करना पसंद होता है, तो अपने बच्चों को कुछ नई हेल्दी रेसेपीज़ व ड्रिंक बनाने के तरीके सिखायें। ऐसा करके आप अपने बच्चे को आत्मनिर्भर भी बना सकेंगी, हां आपको अपने बच्चे की उम्र का ध्यान रखना है। बच्चे की उम्र के अनुसार ही उससे किचन के काम करवायें। छोटे बच्चे हर नये काम को बड़े उत्साह से करते हैं, लेकिन किचन के खतरे भी कुछ कम नहीं होते। शुरुआत में बच्चों को गैस, माइक्रोवेव, चाकू, कूकर से दूर ही रखें और उन्हें किचन में बिलकुल अकेला ना छोड़ें। |
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