किडनी रोग बच्चों को भी कर रहा प्रभावित

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किडनी रोग बच्चों को भी कर रहा प्रभावित

रीर की गंदगी को हम रोज़ाना नहाकर निकाल देते हैं, ठीक यही काम शरीर के अंदर हमारी किडनी (गुर्दा) करती है। किडनी शरीर के टॉक्सिन्स और बेकार चीज़ों को बाहर निकाल हमें स्वस्थ रखती है । हम सभी के शरीर में दो किडनी होती हैं, लेकिन केवल एक ही किडनी सारी जिंदगी सभी महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने में सक्षम होती है। किडनी हमारे शरीर के अनावश्यक कचरे को बाहर निकालकर हमें स्वस्थ रखने का काम करती है। हाल के वर्षों में डायबिटीज़ और उच्च रक्तचाप के मरीज़ों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। यही वजह है कि दुनियाभर के सैकड़ों लोगों जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, इस रोग से प्रभावित हैं। बच्चों में बढ़ते अस्वस्थ्य जीवन के चलते उनकी किडनियों पर खतरा मंडरा रहा है। बच्चों में होने वाले मुख्य किडनी डिसीज -

नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम

यह एक आम किडनी की बीमारी है। पेशाब में प्रोटीन का जाना, रक्त में प्रोटीन की मात्रा में कमी, कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर और शरीर में सूजन इस बीमारी के लक्षण हैं। किडनी के इस रोग की वजह से किसी भी आयु में शरीर में सूजन हो सकती है, परन्तु मुख्यत: यह रोग बच्चों में देखा जाता है। उचित उपचार से रोग पर नियंत्रण होना और बाद में पुन: सूजन दिखाई देना, यह सिलसिला सालों तक चलते रहना यह नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम की विशेषता है। लंबे समय तक बार-बार सूजन होने की वजह से यह रोग मरीज और उसके पारिवारिक सदस्यों के लिए एक चिन्ताजनक रोग है। सरल भाषा में यह कहा जा सकता है की किडनी शरीर में छन्नी का काम करती है, जिसके द्वारा शरीर के अनावश्यक उत्सर्जी पदार्थ अतिरिक्त पानी अर्थात पेशाब द्वारा बाहर निकल जाते हैं। नेफ्रोटिक सिन्ड्रोम में किडनी के छन्नी जैसे छेद बड़े हो जाने के कारण अतिरिक्त पानी और उत्सर्जी पदार्थों के साथ-साथ शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन भी पेशाब के साथ निकल जाते हैं, जिससे शरीर में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में सूजन आने लगती है।

वीयूआर

वेसिको यूरेटेरिक रिफ्लक्स (वीयूआर) - यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें मूत्र मूत्राशय से पीछे, किडनी की ओर प्रवाह करने लगता है। कई बार बड़े बच्चे भी बिस्तर खराब कर देते हैं। ऐसे में उन्हें वेसिको यूरेटेरिक रिफ्लक्स या वीयूआर की आशंका हो सकती है। यह वह रोग है, जिसमें (वाइल यूरिनेटिंग) यूरिन वापस किडनी में आ जाती है। वीयूआर में शिशु बारबार मूत्र संक्रमण (यूटीआई) का शिकार होता है और इसके कारण उसे बुखार आता है। आमतौर पर फिजिशियन बुखार कम करने के लिए एंटीबायोटिक देते हैं लेकिन वीयूआर धीरे-धीरे आर्गन को डैमेज करता रहता है। वीयूआर नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों की आम समस्या है, लेकिन इससे बड़े बच्चे और वयस्क भी प्रभावित हो सकते हैं। सौ नवजात शिशुओं में से एक या दो शिशु वीयूआर से पीडि़त होते हैं। अध्ययन बताते हैं कि वीयूआर से प्रभावित बच्चे के भाई या बहन में से 32 प्रतिशत में यह समस्या देखी गई है। वीयूआर एक आनुवांशिक रोग है। अगर शुरुआती दौर में वीयूआर का इलाज किया जाए तो आसानी से ठीक किया जा सकता है, लेकिन बाद की स्टेज में यह किडनी फेलियर और ट्रांसप्लांट का मुख्य कारण बनता है।

यूटीआई

बच्चों में गुर्दे का संक्रमण बहुत आम है। इसे मूत्र संक्रमण यानि यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर इसके लिए ई. कोली नामक जीवाणु जिम्मेदार होता है। बच्चों में यूटीआई को डायग्नोज करना कठिन होता है। उपचार न कराया जाए तो आयु बढऩे के साथ लक्षण भी बढऩे लगते है जैसे नींद में बिस्तर गीला करना, उच्च रक्तचाप, यूरिन में प्रोटीन आना, किडनी फेलियर। लड़कियों में इसके होने की आशंका लडक़ों से दोगुना होती है। अगर यूटीआई का उपचार नहीं कराया जाए तो किडनी के ऊतकों को स्थायी नुकसान पहुंचता है, जिसे रिफ्लक्स नेफ्रोपैथी कहा जाता है। जब यूरिन का बहाव उल्टा होता है तो किडनी पर सामान्य से अधिक दबाव पड़ता है। अगर किडनी संक्रमित हो जाती है तो समय के साथ उतकों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। इससे उच्च रक्तचाप और किडनी फेलियर होने का खतरा अधिक हो जाता है। अगर यूटीआई का उपचार नहीं कराया जाए तो किडनी के ऊतकों को स्थायी नुकसान पहुंचता है, जिसे रिफ्लक्स नेफ्रोपैथी कहा जाता है। जब यूरिन का बहाव उल्टा होता है तो किडनी पर सामान्य से अधिक दबाव पड़ता है। अगर किडनी संक्रमित हो जाती है तो समय के साथ उतकों के क्षतिग्रस्त होने की आशंका बढ़ जाती है। इससे उच्च रक्तचाप और किडनी फेलियर होने का खतरा अधिक हो जाता है।

क्रोनिक किडनी डिसीज

क्रोनिक किडनी डिसीज का मतलब है कि आप की किडनी खऱाब है और ब्लड को सही तरीके से फि़ल्टर नहीं कर सकती है। इसी खऱाबी की वजह से आपके शरीर में अपशिष्टों का जमाव हो सकता है। इसकी वजह से आपको अन्य समस्याएं भी हो सकती है ,जो आपके स्वास्थ के लिए हानिकारक होती हैं। किडनी कई वर्षो में धीरे-धीरे खऱाब होती है। बीमारी बहुत गंभीर होने से पहले तक कई लोगों को इसके लक्षणों का भी पता भी नहीं चलता है।

किडनी रोग के लक्षण

  • चेहरे पर सूजन
  • भूख में कमी, मितली, उल्टी
  • उच्च रक्तचाप
  • पेशाब संबंधित शिकायतें, झाग आना
  • रक्त अल्पता, कमजोरी
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द
  • शरीर में दर्द, खुजली और पैरों में ऐंठन
  • ये सभी किडनी की बीमारियों की सामान्य शिकायतें हैं। मंद विास, छोटा कद और पैर की हड्डिय़ों का झुकना आदि, किडनी की खऱाबी वाले बच्चों में आम तौर पर देखा जाता है।