सुंदरता का खजाना शिरोधारा

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सुंदरता का खजाना शिरोधारा

आधुनिक युग में जिंदगी में तनाव से राहत पाने के लिए शिरोधारा सबसे अच्छा माध्यम है क्योंकि यह एक तरह से मेडिटेशन का भी काम करता है और यह हमारी नसों को रिलेक्स करता है। इससे बालों में रूसी की समस्या खत्म हो जाती है तथा बालों की चमक हमेशा बरकार रहती है। इससे डिप्रेशन की बीमारी भी काफी हद तक सही हो जाती है। शिरोधारा को माह में दो बार कराने से झडते हुए बालों की समस्या खत्म हो जाती है।

क्या है शिरोधारा

शिरोधारा के अंर्तगत रिलेक्सेशन के लिए सबसे पहले तो हेड और स्पाइन मसाज आता है और बॉडी मसाज भी हो सकता है, जिसके लिए जड़ी बूटियों से बने खास तेल का उपयोग किया जाता है। फिर उसके बाद शिरोधारा की प्रक्रिया अपनाई जाती है। शिरोधारा के लिए जो तरल पदार्थ इस्तेमाल किया जाता है वो तेल, दूध या बटरमिल्क से बना होता है, जिसमें कई तरह की जड़ी-बूटियां मिलाकर उसे मेडिकेटेड बनाया जाता हैं, फिर शिरोधारा के लिए उसका इस्तेमाल किया जाता है। इस्तेमाल करने के लिए उसे बढ़े से मिटैलिक बॉउल में डाला जाता है। बॉउल के बीच में छेद के माध्यम से तरल पदार्थ को भौहों के मध्यामिका के थोड़े ऊपर यानी हमारे तीसरे नेत्र तक पहुंचाया जाता है जो ठंडक पहुंचाता है और तनावमुक्त बनाए रखता है।
इस आधुनिक युग में जिंदगी में तनाव से राहत पाने के लिए शिरोधारा सबसे अच्छा माध्यम है क्योंकि यह एक तरह से मेडिटेशन का भी काम करता है और यह हमारी नसों को रिलेक्स करता है। इससे बालों में रूसी की समस्या खत्म हो जाती है तथा बालों की चमक हमेशा बरकरार रहती है। इससे डिप्रेशन की बीमारी भी काफी हद तक सही हो जाती है। शिरोधारा को माह में दो बार कराने से झड़ते हुए बालों की समस्या खत्म हो जाती है।
ध्यान रखें शिरोधारा हमेशा किसी अच्छी जगह ही चुनें और उसके बारे में भी पता कर लें। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि मसमाज के लिए जिस तेल का इस्तेमाल किया जा रहा है। वो आपके लिए उपयुक्त है या नहीं। कहीं उससे आपको किसी तरह की एलर्जी तो नहीं होगी। इसलिए पहले हाथ में थोड़ा सा तेल लगाकर उसे जांच कर लें फिर आगे की प्रक्रिया शुरू करें।

शिरोधारा के प्रकार

शिरोधारा में उपयोग होने वाले औषध द्रव्यों के आधार पर शिरोधारा के चार प्रकार है।
तक्रधारा - शिरोधारा में जब चिकित्सकीय प्रक्रिया के लिए विशेष विधि से निर्मित औषधयुक्त तक्र (छाछ) का इस्तेमाल किया जाता है तो यह तक्रधारा कहलाती है। इसका प्रयोग मोटापा, बालों की समस्याओं में, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए, सिरदर्द और त्रिदोषज रोगों में किया जाता है।
तेलधारा - शिरोधारा के इस प्रकार में किसी विशेष रोग के लिए औषध युक्त तेल प्रयोग में लिया जाता है जिस कारण इसे तेलधारा कहते हैं।
क्षीरधारा - क्षीर दूध को कहते हैं। क्षीरधारा को बलामूल, शतावरी मूल और दूध से बनाया जाता है। इसका इस्तेमाल उन्माद, अपस्मार, अनिंद्रा और दाह रोगों में किया जाता है।
जलधारा - औषधि युक्त गुनगुने जल से जब शिरोधारा की जाती है तो यह जलधारा कहलाती है।

शिरोधारा के लाभ

  • सिरदर्द में लाभकारी
  • तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाती है
  • अनिंद्रा के रोग का शमन
  • बालों के झड़ने और पकने से रोकती है
  • रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
  • रक्तचाप को सामान्य करती है
  • तनावमुक्त मस्तिष्क
  • याददाश्त और एकाग्रता में वृद्धि होती है
  • त्वचा मुलायम और चिकनी होती है
  • जरा को हरने वाली अर्थात बुढ़ापा देर से आता है
  • शरीर के शुक्र और धातुओं को पुष्ट करती है
  • दिमाग शांत होता है और शरीर मजबूत बनता है

लक्षण

  • किसी दुर्घटना के बाद होने वाले तनाव से उत्पन्न गड़बड़िया
  • अनिंद्रा
  • सोरियासिस
  • उच्च रक्तचाप
  • पुराना सिरदर्द तथा माइग्रेन
  • स्मृति लोप
  • टिनिटस तथा श्रवण क्षमता की समाप्ति
  • शिरोधारा के लाभ
  • तंत्रिका तंत्र को स्थायित्व देता है
  • अनिंद्रा दूर करता है
  • माइग्रेन के कारण होने वाले सिरदर्द में आराम पहुंचाता है
  • मानसिक एकाग्रचित्तता बनाता है
  • उच्च रक्तचाप कम करता है
  • बालों का झड़ना तथा थकान कम करता है
  • तनाव कम करता है