कई महिलाएं ऐसी होती हैं जो फिश्चुला नामक बीमारी की शिकार तो होती हैं लेकिन उन्हें इस बारे में पता ही नहीं होता है कि वो इस रोग की शिकार हैं। गांव-बस्ती में रहने वाली कई महिलाएं ऐसी हैं जिनके शरीर में साफ रूप से फिश्चुला के लक्षण दिखते हैं लेकिन जानकारी के अभाव में वे कुछ नहीं कर पाती हैं। आज हम आपको फिश्चुला नामक बीमारी के बारे में बताने जा रहे हैं कि ये क्यों महिलाओं के लिए हानिकारक है। भगंदर यानि कि एनल फिश्चुला नामक रोग में गुदा द्वार के आसपास एक छेद बन जाता है। इस छेद से पस निकलता और रोगी काफी तेज दर्द महसूस करता है। समुचित इलाज न होने पर बारबार पस पडऩे से फिश्चुला एक जटिल स्वास्थ्य समस्या बन जाता है, जो कालांतर में फोड़ा बन जाता है। फिश्चुला रूपी यह समस्या कालांतर में कैंसर और आंतों की टी.बी. का भी कारण बन सकती है। बहरहाल, आधुनिक वीडियो असिस्टेड एनल फिश्चुला ट्रीटमेंट के प्रचलन में आने के कारण फिश्चुला का इलाज पीडि़त व्यक्तियों के लिए कहीं ज्यादा राहतकारी हो गया है।
क्या हैं इसके लक्षण
अफ्रीका और एशिया में हैं ज्यादा मरीज
यह बीमारी गंदगी या सही से ध्यान न रख पाने के बाद होती है। इसे एक अभियान के तहत यूरोप और अमरीका में जड़ से समाप्त कर दिया गया है और अब वहां इसके बारे में शायद ही कोई जानता हो। वर्तमान में करीब 20 लाख महिलाएं दुनियाभर में इससे पीडि़त हैं। इनकी तादाद अफ्रीका और एशिया में आधुनिक देखभाल और इलाज उपलब्ध ना होने के कारण सबसे अधिक है।
फिश्चुला की जांच
फिश्चुला की जांच के लिये डिजिटल एनस टेस्ट (गुदा परीक्षण) किया जाता है, लेकिन कई रोगियों को इसके अलावा अन्य परीक्षणों की जरूरत पड़ सकती है, जैसे फिस्टुलोग्राम और फिश्चुला के मार्ग को देखने के लिये एमआरआई जांच।
फिश्चुला का सही उपचार
परंपरागत - सर्जरी इस रोग के उपचार का एकमात्र उपाय है। परंपरागत सर्जरी फिश्चुला की परंपरागत सर्जरी को फिस्टुलेक्टॅमी कहा जाता है। सर्जन इस सर्जरी के जरिये भीतरी मार्ग से लेकर बाहरी मार्ग तक की संपूर्ण फिश्चुला को निकाल देते हैं। इस सर्जरी में आम तौर पर टांके नहीं लगाये जाते हैं और जख्म को धीरे-धीरे और प्राकृतिक तरीके से भरने दिया जाता है। इस उपचार विधि में दर्द होता है और उपचार के असफल होने की संभावना रहती है। अंदर के मार्ग और बगल के टांके आम तौर पर हट जाते हैं जिससे दोबारा फिश्चुला हो सकता है। पर्परागत उपचार विधि में मल त्याग में दिक्तक होती है। फिश्चुला की सर्जरी से होने वाले जख्म को भरने में छह सप्ताह से लेकर तीन माह का समय लग जाता है।
नवीनतम उपचार
वीडियो असिस्टेड एनल फिश्चुला ट्रीटमेंट (वीएएएफटी) सुरक्षित और दर्द रहित उपचार है। यह डे-कयर सर्जरी है यानी रोगी सुबह अस्पताल आता है और उसी दिन शाम को चला जाता है। यही नहीं, वीएएएफटी फिश्चुला को दोबारा होने से रोकता है। इस सर्जरी में माइक्रो इंडोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे पूरे फिश्चुला के मार्ग में ले जाया जा सकता है और इस दौरान फिश्चुला को देखा जा सकता है। इस स्थिति में सर्जन को विशेष विद्युतीय करंट के जरिये फिश्चुला को नष्ट करने में मदद मिलती है। सर्जन फिश्चुला के मार्ग को ठीक तरीके से बंद करने के लिये एक विशिष्ट फाइब्रिन ग्लू का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कोई जख्म नहीं रहता है और इसलिये अधिक दिनों तक ड्रेसिंग की जरूरत नहीं होती। 'वीएएएफटी' से मल-मूत्र को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को किसी तरह की क्षति नहीं पहुंचती। इस कारण मल-मूत्र त्यागने की क्रिया सामान्य बनी रहती है, लेकिन पारंपरिक ओपन सर्जरी में मांसपेशियों को नुकसान पहुंचने का खतरा बरकरार रहता है।
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