भोपाल | प्रदेश में मातृ मुत्युदर और में कमी लाने के लिए प्रसव के लिहाज से ज्यादा जोखिम वाली महिलाओं की पहचान की जानी है लेकिन इसमें बड़ी लापरवाही हो रही है। हाल यह है कि कई जगह प्रसव पूर्व जांच के लिए अस्पताल जाने वाली महिलाओं की हीमोग्लोबिन की जांच ही नहीं की जा रही है। यहां तक कि बीपी और वजन की भी जांच नहीं हो रही है।
यह जानतकारी यहां मंगलवार को राष्ट्रीय स्वास्थ मिशन के अधिकारियों द्वारा की गई समीक्षा के दौरान सामने आई। समीक्षा के दौरान यह भी सामने आया कि हीमोग्लोबिन, बीपी और वजन की कुछ जगह जांच हो भी रही है तो उसे आरसीएच (रिप्रोडक्टिव चाइल्ड हेल्थ) के पोर्टल में एएनसी (प्रसव पूर्व जांच) के माड्यूल में दर्ज ही नहीं किया जा रहा है। इस कारण जिला और राज्य स्तर से भी जोखिम वाली गर्भवती की पहचान नहीं हो हो पा रही है। समीक्षा के बाद एनएचएम की संयुक्त संचालक डॉ. अर्चना मिश्री ने इस कमियों को दूर करने के लिए कहा है। मातृ स्वास्थ्य की समीक्षा करने के पहले अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
प्रदेश में उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को किया सम्मानित
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पूरे प्रदेश में उत्कृष्ट कार्य करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को सम्मानित करने के लिए राजधानी में भी कार्यक्रम हुआ। इसमें स्वास्थ मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी, अपर मुख्य सचिव मो. सुलेमान, एनएचएम की मिशन संचालक प्रियंका दास और संचालक डॉ. पंकज शुक्ला शामिल हुए।
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