इंदौर | मप्र के सभी 13 सरकारी मेडकिल कॉलेज को अगले दो महीने में वर्चअल डिसेक्शन (अंग-विच्छेदन) मशीन सरकार उपलब्ध कराएगी। इसके बाद चिकित्सा छात्रों को मानव अंग की संरचना की पढ़ाई के लिए शव की जरूरत नहीं रहेगी। इस मशीन के लिए एचएलएल (हिंदुस्तान लेटेक्स लि.) कंपनी को टेंडर मिला है। एक मशीन की कीमत करीब तीन करोड़ रुपए हैं। गजराजा मेडिकल कॉलेज के छात्रों को मानव अंग की संरचना सीखने में खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कॉलेज के एनाटोमी विभाग को हर साल पर्याप्त शव शिक्षण कार्य के लिए उपलब्ध नहीं हो पाते। कोरोना महामारी के चलते पिछले दो साल में मेडिकल कॉलेजों को शव भी नहीं मिले और छात्र आफलाऩ क्लास भी नहीं ले सके। वर्चुअल बाड़ी डिसेक्शन मशीन मिलने से इन समस्याओं से मुक्ति मिल जाएगी। मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कहा वर्चुअल डिसेक्शन मशीन की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। टेंडर भारत सरकारी के उपक्रम एचएलएल कंपनी को मिला है। वह अगले दो महीने में इस मशीन की उपलब्धता प्रदेश के सभी 13 मेडिकल कॉलेजों में कराएगी।
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