मिर्ज़ापुर। आरोग्य भारती मिर्जापुर एवं होम्योपैथिक एसोसिएशन के संयुक्त तत्वाधान में स्थानीय विंध्यमाउंट इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें प्रोस्टेट ग्लैंड के कैंसर, प्रोस्टेट से संबंधित अन्य बीमारियां एवं रिनल डिसऑर्डर्स में होम्योपैथिक औषधियों की भूमिका पर प्रकाश डाला गया l इस संगोष्ठी में इंदौर के एसकेआरपी गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज के फिजियोलॉजी एवं बायकेमिस्ट्री विभाग के विभागाध्यक्ष एवं एडवांस्ड होम्यो हेल्थ सेंटर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. ए. के द्विवेदी जिन्हें हल ही में मध्य प्रदेश रत्न अवार्ड से नवाजा गया ने विशेष रूप से भाग लिया साथ ही उन्होंने प्रोस्टेट से संबंधित बीमारियों में होम्योपैथिक दवाइयाँ कितनी कारगर है साथ ही अप्लास्टिक एनीमिया पर किए जा रहे अपने शोध पर भी विचार रखें। उपरोक्त संगोष्ठी में वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गणेश प्रसाद अवस्थी ने होम्योपैथी और होम्योपैथ की वर्तमान समय में भूमिका पर प्रकाश डाला l डॉक्टर संदीप श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण एवं कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर टी एन द्विवेदी ने किया ।
इस अवसर पर डॉ. ए. के. द्विवेदी ने बताया कि - यदि समय से प्रोस्टेट से संबंधित बीमारियों का पता चल जाए तो होम्योपैथिक दवाइयों से उन्हें बहुत ही कम समय में ठीक किया जा सकता है जिससे कि प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना नगण्य हो जाती है। जिन खतरनाक बीमारियों को ठीक करने में दुनिया की किसी भी पैथी और डॉक्टरों को सफलता नहीं मिल रही, होम्योपैथी के विशेषज्ञ ऐसी कई जानलेवा बीमारियों का इलाज करने में सफलता हासिल कर रहे हैं चिकित्सा विज्ञान में अत्याधुनिक नवीनतम पद्धतियां मौजूद होने के बावजूद अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज करना अब भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है, लेकिन अब होम्योपैथिक दवाईयों से मरीजों को पूरी तरह ठीक करने में बड़ी सफलता मिल रही है। अप्लास्टिक एनीमिया के हर उम्र के मरीजों को स्वस्थ पर नया जीवन देने की दिशा में होम्योपैथिक दवाईयों से कम समय में बड़े समारात्मक परिणाम मिल रहे हैं।
आगे डॉ. ए. के. द्विवेदी ने बताया कि घातक बीमारियों का शिकार होने के बावजूद होम्योपैथी चंद महीनों में मरीज को ठीक करने में कारगर साबित हो रही हैं। इनमें एक मामला बिहार के दो वर्षीय बच्चे का है, जिसकी जान अप्लास्टिक एनीमिया होने के बाद खतरे में पड़ गई थी। मौलाबाग, भोजपुर निवासी नीरज कुमार के दो वर्षीय बेटे शिवांश को यह बीमारी हुई थी। कई शहरों में इलाज लेने के बाद भी वह ठीक नहीं हुआ। फिर उन्होंने इंदौर के एडवांस्ड होम्यो क्लिनिक पर संपर्क किया। कोरोना के समय यहां से वीडियो कॉल के माध्यम से इलाज शुरू हुई और चंद महीनों में वह ठीक हो गया। दूसरा मामला इंदौर की ही लड़की का है जिसे शरीर से पसीने की जगह खून आता था। लम्बे समय से वह जिंदगी-मौत के बीच संघर्ष कर रही थी, लेकिन यहाँ कुछ ही महीने के इलाज के बाद वह भी ठीक हो गई।
करोड़ों में एक को होती है ऐसी बीमारी
डॉ. द्विवेदी ने बताया कि इंदौर की एक लड़की (नाम गोपनीय रखा गया है) के शरीर से पसीने की जगह खून निकलता था। किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी करने के बाद लड़की के माथे से लेकर हथेलियों तक से खून निकलने लगता था। वह कई शहरों में इलाज ले चुकी थीं, लेकिन उपचार नहीं हो पा रहा था। इस बीमारी को हेमैटोहाइड्रोसिस कहा जाता है, जो करोड़ों लोगों में सिर्फ एक को होती है। फरवरी 2021 में यह केस उनके पास पहुँचा और उन्होंने इसका इलाज शुरू किया। अलग-अलग तरह की जांचें और दवाइयों के डोज बदलने के बाद उन्हें सफलता मिली और लड़की अब ठीक हो चुकी है।
रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुई बीमारी और इलाज की प्रक्रिया
इंदौर की लड़की का मामला कुछ अलग तरह का था। उसका ठीक होना होम्योपैथी और डॉक्टर दोनों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और रिसर्च जर्नल में इसके इलाज की प्रक्रिया प्रकाशित की गई है। सबसे खास बात यह है कि बेहद कम खर्च (सिर्फ 30 हजार रुपए) में बच्ची पूरी तरह स्वस्थ हो गई है और अब नाक, कान या पसीने के रूप में उसका खून नहीं बहता। डॉक्टर संदीप श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण में आज के कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए होम्योपैथिक प्रचार पर जोर दिया। इस अवसर पर डॉक्टर अवस्थी एवं डॉक्टर विवेक सिंह ने मुख्य वक्ता डॉ एके द्विवेदी का उत्तरी पहनाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में डॉक्टर जे एल विश्वकर्मा, डॉक्टर अविनाश पांडे, डॉ अरविंद अवस्थी, विष्णु नारायण मालवीय जी, अखिलेश मिश्रा जी, रमाशंकर द्विवेदी जी, डॉक्टर वैशाली गुप्ता, सुनील कुमार जी, पंचानन दिवेदी जी, राजेश कुमार दुबे जी, राजपति द्विवेदी जी आदि उपस्थित रहे।
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