इंदौर। विश्व में फैली कोरोना महामारी ने लोगों को अनेक दुश्वारियां दी हैं जिनसे वे धीरे-धीरे उबर रहे हैं। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लोगों में एंग्जाइटी डिसआर्डर बढ़ा है। वहीं कोरोना ने लोगों में दिल का दर्द भी बढ़ाया है। हृदय रोग विशेषज्ञों की माने तो कोरोना महामारी से पहले उनकी ओपीडी में आने वाले उच्च रक्तचाप के के मरीजों में नए मामले लगभग 10 प्रतिशत ही रहते थे जो अब बढ़कर 30-31 प्रतिशत हो गए हैं। वहीं इसमें जो नए मरीज बढ़े हैं उनमें से 80 से 82 प्रतिशत 40 वर्ष से कम उम्र के हैं। वहीं उच्च रक्तचाप से पीड़ितों की संख्या बढ़ने को लेकर हृदय रोग विशेषज्ञ बोलते हैं कि कोरोना संक्रमण के दौरान सबसी बढ़ी समस्या थी लोगों की जॉब। जिसे लेकर कुछ लोगों की नौकरी चली गई तो किसी को उसके चले जाने का डर सता रहा था। जिसके तनाव ने ऐसे लोगों के दिलों-दिमाग पर जोर डाला। वहीं कोरोना संक्रमण के दौरान इस तरह के तनाव के बीच लोग घर में रहे और व्यायाम भी नहीं किया।
समान्य 72 रहना चाहिए मिल रही 100 से ऊपर
यूं तो सामन्य तौर पर लोगों की पल्स 72 रहना चाहिए। लेकिन हाई बीपी के अलावा कोरोना संक्रमित हो चुके करीब 10 प्रतिशत लोगों में पल्स रेट 100 से भी ऊपर मिल रही है। वहीं पल्स रेट ज्यादा होने से हार्ट फेल होने का खतरा रहता है और व्यक्ति जल्दी थकने लगता है। वहीं उच्च रक्तचाप नुकसानदायक भी हो सकता है। रक्तचाप उच्च होने से किडनी पर दबाव पड़ता है। ब्रेन स्ट्रोक का खतरा रहता है। आंखों की रोशनी जा सकती है। हृदय खराब होने का खतरा भी रहता है।
रक्तचाप से बचने के लिए यह करें
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