डॉ. एके द्विवेदी इंदौर मध्यप्रदेश ही नहीं अपितु मध्य भारत के ऐसे होम्योपैथी चिकित्सक है जिनके पास मरीज तब पहुंचता है जब वह अपनी बीमारी का इलाज करा कराकर थक जाता है। कई बार तो अप्लास्टिक एनिमया के ऐसे मरीज आते हैं जिनका प्लेटलैस 10,000 से भी कम रहता है तथा हिमोग्लोबिन भी 5gm % से भी कम होता है और मुंह-नाक से ब्लीडिंग होती रहती है और जब उनका होम्योपैथिक इलाज प्रारंभ होता है तो धीरे-धीरे उनकी समस्या खत्म होने लगती है। ऐसे ही अन्य कई बीमारियों से पीड़ित मरीज जो चल-फिर नहीं पाते हैं जैसे गठिया या स्लीप डिस्क, थोड़े दिन होम्योपैथिक दवा तथा नेचुयरोपैथी (प्रकृतिक चिकित्सा) के संयुक्त इलाज से चलने-फिरने लग जाते हैं तथा एसिडिटी/हाईटस हार्निया/जीईआरडी के मरीज जब उनकी परेशानी ठीक नहीं होने के कारण शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से भी पीड़ित हो जाते हैं तब डॉ. एके द्विवेदी द्वारा स्थापित एडवांस आयुष वेलनेस सेंटर पर आकर अपनी परेशानियों से छुटकारा पाते हैं।
प्रश्न-1- पहले के लोग ऐसा मानते थे कि होम्योपैथिक इलाज के लिए बहुत ज्यादा परहेज करना होता है तथा यह इलाज अत्याधिक धीमा होता है और इलाज की शुरुआती अवस्था में बीमारी थोड़ी बढ़ सकती है?
उत्तर– डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार लोगों की यह सोच पुर्णतः निराधार एवं वैज्ञानिक तथ्यों से परे हैं। होम्योपैथी इलाज से बीमारी सीधे कम होती है। बहुत ज्यादा अनावश्क परहेज की आवश्यकता नहीं होती है और शीघ्र परिणाम मिलता है।
प्रश्न- 2- साधारण होम्योपैथी जो दूसरे लोग करते हैं और आपकी एडवांस होम्योपैथी में कितना अंतर है?
उत्तर– साधारण होम्योपैथी में डेसिमल तथा सेंटीसिमल पोटैंसी की दवा दी जाती है। जबकि एडवांस होम्योपैथी में हम लोग 50 मिलीसिमल पोटैंसी की दवाईयां देते हैं। जिसमें शीघ्र परिणाम देखने को मिल रहा है। साथ ही अनावश्यक परहेज भी नहीं करना पड़ रहा है।
प्रश्न-3- लोगों का मानना है कि गठिया और आटो इम्युन डिसआर्डर ठीक ही नहीं होते हैं। क्या होम्योपैथी इलाज इन बीमारियों पर कारगर हो सकती है?
उत्तर- यदि स्ट्रक्चरल डिफार्मिटी नहीं हुई है तब होम्योपैथी दवा कारगर हो सकती है। लेकिन स्ट्रक्चरल डिफार्मिटी होने के बाद होम्योपैथी इलाज के साथ-साथ हम लोग एडवांस आयुष वेलनैस सेंटर पर योग तथा नेचुयरोपैथी का भी उपचार साथ में देते हैं। जिससे काफी मरीजों को राहत मिल रही है।
प्रश्न -4- स्लिप डिस्क (स्पोंडिलाइट्स) की समस्या लोगों में आजकल ज्यादा बढ़ती जा रही है। जिसके कारण कई बार लोगों को चक्कर तथा हाथ-पैर में सूनपन हो रहा है। इसका क्या कारण हो सकता है तथा क्या होम्योपैथी में इसका इलाज संभव है?
उत्तर- स्लिप डिस्क (स्पोंडिलाइट्स) की समस्या हमारे कार्य करने की पोजिसन तथा हमारे ज्यादा बैठने अथवा ज्यादा मोबाइल चलाने के कारण देखने में आ रही है। यदि आगे झुकने का कार्य करते हैं या ज्यादा मोबाइल चलाते हैं तो उससे सर्वाइकल स्पोंडिलाइट्स हो सकती है जिसके कारण हाथों में सूनपर चक्कर आने की शिकायत या गर्दन के पीछे दर्द के साथ साथ सिर दर्द पर हो सकता है। जबकि यदि लगातार लंबे समय तक बैठकर कार्य करते हैं तो लंबर स्पोंडिलाइट्स हो जाता है। जिसके कारण पीठ/कमर ( लो बैक) दर्द हो सकता है। साथ ही पैरों में सूनपन एवं चलने में परेशानी हो सकती है। इसका इलाज होम्योपैथी में काफी बेहतर है। हम लोग होम्योपैथी चिकित्सा के साथ-साथ पोजिसन करेक्शन भी सिखाते हैं और प्राकृतिक चिकित्सा में मसाज थैरेपी देते हैं। जिससे चक्कर तथा सूनपन में भी शीघ्र राहत मिल जाती है।
प्रश्न -5- बार बार होने वाली बीमारियां जैसे पथरी, पाइल्स, फिशर-फिस्चुला इत्यादि में होम्योपैथी कैसे कारगर हो सकती है ?
उत्तर– होम्योपैथी 50 मिलीसिमल पोटैंसी की दवाईयां बार-बार होने वाली सभी प्रकार की बीमारियों जैसे पथरी, पाइल्स, फिशर-फिस्चुला इत्यादि पर काफी कारगर है। ब्लीडिंग पाइल्स के बहुत पुराने मरीज भी होम्योपैथी इलाज शीघ्र ही निजात पा लेते हैं तथा जिन्हें बार-बार पथरी बन जाती है उनकी छोटी-छोटी पथरियां तो कुछ ही दिन के होम्योपैथी इलाज से आसानी से निकल जाती है।
प्रश्न-6- महिलाओं में बार-बार होने वाली यूटीआई (यूरिनरी टैक्ट इंफेक्शन) तथा पुरुषों में उम्र के साथ-साथ प्रोस्टेट ग्रंथी बढ़ जाने के कारण पैशाब में रूकावट, जलन तथा दर्द में होम्योपैथी कैसे कारगर हो सकती है?
उत्तर– महिलाओं उनकी बनावट ( एनाटोमिकल स्ट्रक्चर) तथा पुरुषों में बढ़ती उम्र के साथ बढ़ने वाली प्रोस्टेट ग्रंथी के कारण होने वाली पैशाब की समस्या यूटीआई, जलन, दर्द तथा रूकावट में होम्योपैथी की 50 मिलीसिमल पोटैंसी की दवाईयां काफी कारगर है तथा शीघ्र परिणाम मिलता है।
प्रश्न-7 – क्या मानसिक बीमारियों में आपका इलाज कारगर है?
उत्तर- जी, हमारे संस्थान में मानसिक बीमारियों के लिए लोगों को राहत दिलाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। आजकल लोगों में छोटी-छोटी बातों को लेकर स्ट्रेस (तनाव), गुस्सा, चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन (अवसाद) तथा अनिंद्रा की समस्या काफी तेजी से बढ़ रही है। इसकी रोकथाम तथा इलाज के लिए हमारे संस्थान एडवांस आयुष वेलनेस सेंटर पर होम्योपैथी एवं नेचुयरोपैथी के साथ-साथ सिरोधारा कराया जाता है। साथ ही मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. वैभव चतुर्वेदी के कुशल नेतृत्व में मनोशांति, मानसिक चिकित्सालय पर इलाज के साथ-साथ ऐसे मरीजों को संबल प्रदान करने और यह समझाने का भी प्रयास किया जाता है कि मानसिक बीमारी का मतलब पागल होना नहीं है या एक बार इलाज प्रारंभ होने के बाद जीवनप्रयंत दवा खानी पड़ेगी ऐसा जरूरी नहीं है।
प्रश्न-8 – बच्चों में बार-बार होने वाले सर्दी-झुकाम, खांसी-बुखार तथा उनकी कमजोर इम्युनिटी को क्या होम्योपैथी दवा से ठीक किया जा सकता है?
उत्तर– जी हां, आजकल पालक काफी सजग हो गए हैं। वे छोटे बच्चों को होम्योपैथिक दवाईयां इसलिए देना चाहते हैं ताकि उनकी रोगप्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो जाए और उनका बार-बार बीमार होना भी बंद हो जाए। ऐसे काफी छोटे बच्चे आए जिन्हें जल्दी-जल्दी सर्दी-झुकाम व बुखार हो जाता था जिसके कारण उनकी भूख तथा ग्रोथ कम हो गई थी ऐसे बच्चों को जब हमारे संस्थान से 50 मिलीसिमल पोटैंसी की होम्योपैथिक दवाईयां दी गई तो बच्चों बार-बार बीमार होना बंद हो गया, भूख खुल गई, ग्रोथ अच्छी हो गई, रोगप्रतिरोधक क्षमता बेहतर हो गई और कई पैरेंट्स ऐसा बताते हैं कि उनके बच्चों की याददाश और पढ़ने-समझने की क्षमता भी होम्योपैथी इलाज के बाद पहले से काफी बेहतर हो गई।
प्रश्न – 9 – कम उम्र की महिलाओं में होने वाली पीसीओडी तथा अधिक उम्र की महिलाओं में होने वाली फाइब्राइड या फिर अत्याधिक रक्तस्त्राव में होम्योपैथी दवाईयां क्या कारगर हो सकती है?
उत्तर– जी हां, अनियमित माहावारी ( मेंसेस), अत्याधिक रक्तस्त्राव तथा पीसीओडी और फाइब्राइड सहित हार्मोनल डिसबैलेंस के साथ-साथ व्हाइट डिस्चार्ज ( ल्यूकोरिया) में होम्योपैथी की 50 मिलीसिमल पोटैंसी की दवाईयां काफी कारगर है। साथ ही हमारे एडवांस आयुष वेलनेस सेंटर इनके लिए प्राकृतिक चिकित्सा भी कराते हैं जिससे उन्हें आसानुरूप परिणाम मिलते हैं।
प्रश्न-10 – सिकलसेल एनिमिया, थैलासिमिया तथा अप्लास्टिक एनिमिया में होम्योपैथिक दवाईयां कैसे कारगर हो सकती है?
उत्तर– होम्योपैथी की 50 मिलीसिमल पोटैंसी की चिकित्सा द्वारा अप्लास्टिक एनिमिया के काफी सारे मरिज पूर्णतः स्वस्थ हो चुके हैं। जबकि सिकलसेल एनिमिया तथा थैलासिमिया के मरीजों की परेशानियों को कम किया जाकर जल्दी-जल्दी या बार-बार रक्त चढ़ाने की समस्या को काफी हद तक किया जा सका है। (सिकलसेल एनिमिया तथा थैलासिमिया के मरीज पूरी तरह से ठीक नहीं हो सके हैं।)डॉ. ए.के. द्विवेदी
बी.एच.एम.एस., एम.डी. (होम्यो.), एफ.एच.सी.एच., लंदन (यू.के.),
पीएच.डी., एम.बी.ए., एम.ए. (योग)
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