इंदौर। हार्टअटैक यानी हृदयाघात एक समय था जब यह बुढ़ापे में ही आता था और इसे बुढ़ापे की ही बीमारी भी कहा जाता था। लेकिन आज के भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल के चलते युवाओं में तेजी से इसके मामले बढ़ रहे हैं। अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला और उसके बाद दो दिन पहले गायक केके की मौत ने एक बार फिर युवाओं में बढ़ते हार्टअटैक के मामलों को लेकर चिंता बढ़ा दी है। डाक्टर्स के कहना है कि किसी भी व्यक्ति को अचानक हार्टअटैक नहीं आता है। हार्टअटैक आने से पहले मनुष्य के शरीर के अन्य अंग उसके आने के लक्षण बता देते हैं। ऐसे में यदि इन संकेतों को पहचानें और नजरअंदाज न करें तो हार्टअटैक के खतरे को कम किया जा सकता है। सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल इंदौर के हृदय रोग विभागध्यक्ष डॉ. एडी भटनागर के मुताबिक पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और गायक केके के चलते –फिरते हार्टअटैक से मौत को हम आकस्मिक हार्टअटैक कहते हैं। कई बार लोगों को पहले से इसका पता नहीं चलता है। 5 से 10 प्रतिशत की अचानक मौत हो जाती है। लोग वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण करवाएं जैसे शुगर, कोलेस्ट्राल, ईसीजी, टीएमटी, ईको आदि जांचे तो बीमारियों का पता पहले से चल सकता है। इससे हार्टअटैक के खतरे से बचा जा सकता है। इसके अलावा फास्ट फूड, धूम्रपान, शराब जैसी बुरी आदतें छोड़ दे तो भी हार्टअटैक के खतरे को कम किया जा सकता है।
हार्टअटैक के सामन्य लक्षण
ऐसे करें बचाव
डायबिटीज के मरीजों को पता नहीं चल पाता
हार्टअटैक के कई लक्षण डायबिटीज (मधुमेह) के मरीजों में दिखाई नहीं देते हैं। सीने में दर्द नहीं होने से अधिकांश लोगों को हार्टअटैक का पता ही नहीं चल पाता है। ऐसे मरीजों को घबराहट व सांस लेने में तकलीफ होती है। इस आधार पर ही हृदयाघात का पता चल पाता है। वहीं पारिवारिक इतिहास, ब्लड प्रेशर की शिकायत, मधुमेह, मोटापा, हाइपरटेंशन, कोलेस्ट्राल बढ़ा होना। इन बीमारियों वालों को हार्टअटैक का खतरा ज्यादा होता है।
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