इंटरनेट और टेक्नोलॉजी से होने वाले कुछ मानसिक रोग
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03/06/2022 14:28:00
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आज के दौर में लगभग सभी काम इंटरनेट और टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो चुके हैं। जिन लोगों को टेक्नोलॉजी और इंटरनेट का अच्छा उपयोग करना नहीं आता है उन लोगों को पिछड़े वर्ग में गिना जाता है। इंटरनेट और टेक्नोलॉजी जहां हमारे दैनिक जीवन के लिए बेहद उपयोगी है वहीं यह हमारे लिए कई मानसिक बीमारियों को लेकर भी आती हैं। इंटरनेट औऱ टेक्नोलॉजी से होने वाली कुछ मानसिक बीमारियों के बारे में जानिये...
सेल्फाइटिस - सेल्फी की सनक
आजकल हर स्मार्टफोन में सेल्फी लेने के लिए फ्रंट कैमरा होता है। हाल ही में हुए एक रिसर्च के अनुसार अगर कोई व्यक्ति एक बार में 3 से अधिक सेल्फी लेता है तो उसे मानसिक रोग होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है। सेल्फी लेने की इस अतिवादी सनक को सेल्फाइटिस भी कहा जाता है।
फैंटम रिंगिंग सिंड्रोम- फोन बजने का भ्रम
आप कहीं बैठे होते हैं तो अचानक आपको लगता है कि चार्जिंग में लगा या किसी दूसरे कमरे में रखा आपका फोन बज रहा है। अगर ऐसी घटनाएं आपके साथ बार-बार हो रही हैं तो फिर आपको सावधान हो जाने की जरूरत है। फोन बजने को लेकर होने वाले भ्रम की स्थिति को भी मानसिक रोग माना गया है और इसे फैंटम वाइब्रेशन या फैंटम रिंगिंग सिंड्रोम का नाम दिया गया है।
एक मनोरोग विशेषज्ञ के अनुसार जरूरत से ज्यादा मोबाइल का प्रयोग करने वाले लगभग 70 प्रतिशत से अधिक लोग इस भ्रम का शिकार होते हैं। उन्हें लगता है कि उनका फोन बज रहा है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता है।
मेमोरी कमजोर होना
आज के समय किसी भी चीज की जानकारी के लिए तुरंत ही गूगल का इस्तेमाल किया जाता है। गूगल के अधिकाधिक प्रयोग किये जाने के कारण हमारे दिमाग का कम प्रयोग हो पाता है जिससे मेमोरी धीरे-धीरे कमजोर होती जाती है।
नोमोफोबिया- फोन खोने का डर
हम घर से निकलते हैं तो अचानक हमें लगता है कि हम अपना फोन घर में ही भूल गए। ऐसा ही अक्सर ऑफिसों या पार्टियों आदि से निकलते समय भी हमें लगता ही है। अगर इस तरह की मानसिक समस्याएं आपको हैं तो फिर आपको भी नोमोफोबिया नामक मानसिक बीमारी होने का खतरा है। एक रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में करीब 66 प्रतिशत लोग इससे पीडि़त हैं।
साइबरकॉन्ड्रिया - बीमार होने का डर
इंटरनेट पर अनेकों बीमारियों के तरह तरह के लक्षण बताये जाते हैं। इन लक्षणों को पढऩे के बाद बहुत से लोगों को लगने लगता है कि यह बीमारी उन्हें भी हो गई है। इंटरनेट पर पढऩे के बाद बीमारी होने का डर भी मानसिक बीमारियों के रूप में ही गिना जाता है।
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