विश्व सिकल सेल डे 19 जून को- जन्मजात होती है यह बीमारी, जागरूकता से ही लाई जा सकती है इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर में कमी

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विश्व सिकल सेल डे 19 जून को- जन्मजात होती है यह बीमारी, जागरूकता से ही लाई जा सकती है इस बीमारी से होने वाली मृत्यु दर में कमी

ग्रेटर ब्रजेश्वरी स्थित एडवांस्ड होम्यो-हेल्थ सेंटर एवं होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च सेंटर पर एक राष्ट्रीय सेमिनार का होगा आयोजन, वक्ता रखेंगे अपना विचार

इंदौर। आज की अत्याधुनिक जीवनशैली से बिगड़ती लोगों की दिनचर्या के दुष्परिणाम स्वरूप अनेक जटिल बीमारियां व्यक्ति को घेर लेती है, लेकिन कुछ बीमारी या तो जेनेटिक होती है या जन्मजात। इनमें से एक जटिल रोग है सिकल सेल एनीमिया और प्रतिवर्ष 19 जून को विश्व सिकल सेल एनीमिया डे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में अधिकारिक तौर पर वर्ष 2008 में घोषणा की थी कि हर वर्ष 19 जून को विश्व सिकल सेल दिवस के रूप में मनाया जाएगा। यह दिन सिकल सेल रोग, इसके उपचार के उपायों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और दुनियभर में इस रोग पर प्रभावी नियंत्रण पाने के लिए मनाया जाता है। पहला विश्व सिकल सेल डे वर्ष 2009 में मनाया गया था। वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ में इसे एक घातक आनुवांशिक रोग चिह्नित करते हुए कहा है कि इस विकृति के प्रबंधन एवं जनजागरण के चलते मलेरिया, कुपोषण एवं एनीमिया से होने वाली बीमारी से शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकेगी।

सिकल सेल एनीमिया में मरीज के साथ उसके परिजन भी होते हैं काफी परेशान – डॉ. द्विवेदी

इंदौर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी बताते हैं कि सिकल सेल एनीमिया एक आनुवंशिक यानी जन्मजात रोग है। यह बीमारी पीढ़ी दर पीढ़ी चलती है। आदिवासी क्षेत्रों के आलावा भी कई जिले हैं जहां सिकल सेल एनीमिया के मरीज मिलते हैं। मेरे पास भी देश के अलग-अलग प्रांतों से मरीज सिकल सेल एनीमिया के उपाचर के लिए पहुंचते हैं। सिकल सेल एनीमिया को लेकर समझते तो हमारा आरबीसी नार्मल तौर पर गोलाकार शेप में होता है जबकि सिकल सेल एनीमिया की बीमारी में आरबीसी का शेप बदल जाता है। इसमें आरबीसी अर्धमून या हसिये के आकार में हो जाता है। इसकी वजह से सेल में पहुंचने वाली आक्सिजन में कमी हो जाती है। जिसकी वजह से मरीज को कमजोरी लगने लगती है, हाथ-पैर में दर्द होता है, माशपेशियों व हड्डियों में भी दर्द होता है, पेट दर्द होता है, मरीज को अहसनीय तड़पन होती है। इसके साथ ही बुखार बना रहता है और कमजोरी बनी रहती है। हिप जाइंट में परेशानी होती है। इसका मरीज नार्मल व्यक्ति से काफी कमजोर रहती है। इसके अलावा रक्त कणों के जल्दी-जल्दी टूटने से रोगी को सदैव रक्त की कमी रहती है। वहीं इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति के साथ उसके आसपास के लोग परिवार के लोग भी परेशान होते हैं। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकारी भी प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया के संबंध में लागातार काम कर रही है ताकि इससे पीड़ित मरीजों को समय पर सही उपचार मिल सके।

सिकल सेल एनीमिया एंड होम्योपैथी विषय पर राष्ट्रीय सेमिनार 19 जून को

डॉ. एके द्विवेदी जी ने बताया कि विश्व सिकल सेल डे पर 19 जून को सिकल सेल एनीमिया के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से 19 जून रविवार को ग्रेटर ब्रजेश्वरी स्थित एडवांस्ड होम्यो-हेल्थ सेंटर एवं होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च सेंटर पर एक राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया जा रहा है। सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में उत्तरप्रदेश होम्योपैथी मेडिसीन  बोर्ड के डायरेक्टर डॉ. आनंद चतुर्वेदी रहेंगे। इसके अलावा सीनियर फिजिशियन डॉ. संतोष शर्मा (इंदौर), इंदौर के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी, आयुर्वेदिक फिजिशियन व पूर्व महापौर डॉ. उषाशिश शर्मा (इंदौर), साइकेट्रिस्ट  डॉ. वैभव चतुर्वेदी रहेंगे जो सेमिनार के विषय पर अपना उद्बोधन देंगे।

सिकल सेल एनीमिया बीमारी को प्रबंधित करने की जरूरत है

जैसा कि हम जानते हैं कि अभी सिकल सेल एनीमिया का कोई पूर्ण या स्थायी इलाज नहीं है, इसलिए इस बीमारी को प्रबंधित करने की आवश्यकता है। सिकल सेल एनीमिया का प्रबंधन आमतौर पर दर्द, एपिसोड से बचने, लक्षणों से राहत और जटिलताओं को रोकने के उद्देश्य से होता है, उपचार में दवा और ब्लड ट्रांसफ्यूजन शामिल हो सकते हैं। इस बीमारी के मरीजों के लिए उचित पोषण की जरूरत है। सिकल सेल रोगी मेटाबोलिक रेट और प्रोटिंन टर्नओवर बढ़ा सकते हैं या बैलेंस कर सके है हाइ कैलोरी लेने से।

एनीमिया में घरेलू उपचार- Hb को बढ़ाने के लिए

  1. अनार
  2. बीट रूट
  3. मैथी
  4. टमाटर
  5. फलियां
  6. डेट्स/नट्स
  7. सभी अनाज
  8. दूध/ दूध उत्पाद ( दही)
  9. लौकी का सूप
  10. कैला
  11. मीट/मछली/अंडा
  12. ज्यादा से ज्यादा पानी पीए

 कोल्ड वेदर में होती है ज्यादा परेशानियां

सिकल सेल एनीमिया के मरीज में पेनफूल का कॉमन फैक्टर है कोल्ड। कोल्ड वेदर, में काफी ज्यादा परेशानियां होती है। इसलिए सही जानकारी और सही कपड़े पहनने से इसके इफैक्ट को कम किया जा सकता है। इसलिए पैसेंट्स को कोल्ड की इंपोरटेंशन को समझना चाहिए और कोल्ड के वेदर में और रात में खुद को गर्म रखना चाहिए। इसके लिए पैसेंट्स को पूरी तरह से एसी और कुलर को त्यागना चाहिए। साथ ही ठंडे पानी में तैरना भी नहीं चाहिए। इसके अलावा सिकल सेल एनेमिक पैसेंट में आक्सीजन सेच्युरेशन लेस होता है इसलिए उन्हें रोजाना एक्सरसाइस करनी चाहिए, रोजाना वाक पर जाना चाहिए और कार्डिया लेना चाहिए। योगा एक अच्छा उपाय है शरीर में आक्सीजन सेच्युरेशन को बढ़ाने का इसमें भी (अलोम-विलोम)।  इसके अलावा स्टीम सेल थैरेपी/ जेम थैरेपी (इसमें स्टीम सेल थैरेपी बच्चों पर ज्यादा प्रभावी है) भी प्रभावी है।