पीपीपी मोड पर इंदौर-उज्जैन समेत 5 जिला अस्पतालों में मिलेगी एमआरआइ की सुविधा

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पीपीपी मोड पर इंदौर-उज्जैन समेत 5 जिला अस्पतालों में मिलेगी एमआरआइ की सुविधा

- मशीनों के लगने से बाजार से करीब 60 प्रतिशत कम शुल्क में मरीजों की जांच हो सकेगी

इंदौर। मप्र में पहली बार जिला अस्पतालों में एमआरआइ की सुविधा शुरू करने की तैयारी शासन द्वारा की जा रही है। इसके लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड से एमआरआइ की ये मशीनें लगाई जाएंगी। जिसके टेंडर जल्द ही मप्र पब्लिक हेल्थ सप्लाई कारपोरेशन की ओर से जारी किया जाएगा। फिलहाल यह एमआरआइ मशीन भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन के जिला अस्पताल में लगाई जाने की तैयारी की गई है।

गौरतलब है कि अभी प्रदेश के कुछ मेडिकल कॉलेजों में पीपीपी से एमआरआइ मशीनें लगाई गई है। यहां जांच की दरें सेंट्रल गवर्नमेंट हेल्त स्कीम (सीजीएचएस) की दरों के आसपास ही है। भोपाल के हमीदिया हॉस्पिटल में लगी एमआरआइ मशीन में जांच 2000 रुपए करीब में शुरू हो जाती है। जबकि उसी तरह की जांच के लिए प्राइवेट लैब में करीब 6 हजार रुपए लग जाते हैं।

जिला अस्पताल में मशीन लगने के फायदे

  • जिला अस्पतालों में ट्रामा यूनिट भी बनाई गई है। कई बार गंभीर मरीज आते हैं, लेकिन एमआरआइ की सुविधा नहीं होने की वजह से मरीज को मेडिकल कॉलेज या फिर निजी अस्पताल भेजना पड़ता है। गोल्डन आवर में काफी समय आने-जाने में ही बेकार हो जाता है।
  • मेडिको लीगल केस में भी कई बार एमआरआइ जांच के बाद रिपोर्ट देनी होती है। अभी मरीजों को मेडिकल कॉलेज भेजना पड़ता है।
  • कोरोना संक्रमण होने पर भी कुछ मरीजों को एमआरआइ जांच की जरूरत पड़ती है। कई बार निजी अस्पताल भी संक्रमितों की जांच करने से मना कर देते हैं।
  • कुछ जिला अस्पतालों में रेडियो डायग्नोसिस में सीपीएस डिप्लोमा पाठ्यक्रम संचालित हो रहा है। मशीनें लगने से डिप्लोमा करने वाले डॉक्टरों को सीखने का मौका मिलेगा।