इंदौर। देश में डायबिटीज, दिल व गुर्दे के इलाज में काम आने वाली कई महत्वपूर्ण दवाइयां सस्ती हो सकती है। केंद्र सरकार ने इन दवाओं की कीमतों में कटौती के लिए ट्रेड मार्जिन को फिक्स करने की तैयारी कर ली है। वहीं दूसरी ओर मधुमेह रोधी दवाइयां बनाने में प्रयोग होने वाले मॉलिक्यूल सिटाग्लिप्टिन का पेटेंट इसी महीने ही खत्म हो रहा है।
पेटेंट खत्म होने से भारत में 50 कंपनियों की ओर से डायबिटीज की मेडिसिन के 200 नए ब्रांड लांच होने की उम्मीद है जिससे मधुमेह की दवाएं 50 से 70 प्रतिशत तक सस्ती हो जाएगी। सिटाग्लिप्टन को मर्क एंड कंपनी ने तैयार किया था। पेटेंट खत्म होते ही भारतीय बाजार में बड़े पैमाने पर इसका जेनरिक संस्करण उतारने की योजना है। सिटाग्लिप्टिन ब्रांड की एक गोली अभी 38 से 42 रुपए में मिलती है जिसके जेनरिक मेडिसन की कीमत 10 रुपए के करीब रहने की उम्मीद है।
एंटी-डायबिटिक दवा का मार्जिन घटेगा
ड्रग प्राइस वॉचडॉग नेशनल फार्मास्टुटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी पिछले कई महीनों से इस योजना पर काम कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, ट्रेड मार्जिन को चरणबद्ध तरीके से तर्कसंगत बनाया जाएगा तथा इस पूरी प्रक्रिया को लागू करने के लिए दवा इंडस्ट्री को कुछ समय दिया जाएगा। ताकि वे जरूरी बदलाव कर सकें। सरकार पहले ही एंटी-कैंसर कैटेगरी की दवाओं का मार्जिन घटा चुकी है। इसी बार एंटी-डायबिटीक और किडनी की बीमारियों से संबंधित दवाओं का मार्जिन घटाया जाएगा। गौरतलब है कि भारत में जेनरिक दवाओं का बाजार अभी 16,000 करोड़ रुपए से अधिक का है। इसमें सिटाग्लिप्टिन आधारित दवा का बाजार करीब 4000 करोड़ का है। देश में 200 से ज्यादा कंपनियां डायबिटीज की दवाइयां बनाती है लेकिन 80 प्रतिशत से अधिक बाजार हिस्सेदारी केवल टॉप 20 कंपनियों की है।
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