बहुत से भारतीय परिवारों में छोटे बच्चों को चाय देने का रिवाज सा है। यह माना जाता है कि चाय से पाचन क्रिया सही होती है, मौसमी बीमारियाँ दूर रहती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। चाय के ये फायदे ठीक हैं। लेकिन यदि आप सोचते हैं कि बच्चों को भी इन फ़ायदों के लिए बड़ों की तरह चाय देनी चाहिए तो आप गलत हैं। इसमें ज्यादा दूध मिलाकर देने और बिस्कुट आदि देने से बच्चों पर चाय के हानिकारक प्रभाव कम नहीं होंगे। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि बच्चों के लिए चाय क्यों नुकसानकारी है। चाय बड़ों के पीने के लिए हैं नवजात और बड़े बच्चों में चाय के सेवन से कैल्शियम का अवशोषण प्रभावित होता है जिससे कैल्शियम की कमी या कैल्शियम से संबंधित अन्य बीमारियां पैदा होती हैं। बड़े बच्चों में चाय के नियमित सेवन से दिमाग, मांसपेशी, तंत्रिका तंत्र पर प्रभाव पड़ता है और संरचनात्मक ग्रोथ रुकती है। छोटी उम्र में चाय पीने के सामान्य साइड इफेक्ट्स भी होते हैं जिनमें है हड्डियों की कमजोरी, शरीर में दर्द, खास तौर पर निचले अंगों में एकाग्रता की कमी, चिड़चिड़ापन और अन्य व्यवहारिक विकास मांसपेशियों की कमजोरी।
क्या चाय में और दूध मिलाना ठीक
बहुत सी माताएं मानती है कि चाय में और दूध मिलाकर बच्चों को देने से कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता और बच्चे में कैल्शियम की कमी दूर होती है। लेकिन वे ये नहीं समझती है कि दूध में एक बूंद भी चाय मिलाने से दूध के फायदे खत्म हो जाते हैं।
दूध में चाय मिलने पर फ्लावोनेइड्स मिश्रण बनता है जो नर्वस सिस्टम पर अफीम की तरह करता है काम
दूध में पाया जाने वाला कैसीन और प्रोटीन चाय के कैटेचिंस से मिल जाता है, यह एक महत्वपूर्ण फ्लावोनेइड्स है। यह मिश्रण नर्वस सिस्टम पर अफीम की तरह काम करता है जिससे कि चाय की लत लग जाती है और किसी भी उम्र में लत लगना स्वास्थ के लिए सही नहीं है।
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