इंदौर। शहर में कोरोना संक्रमण कम होने का नाम नहीं ले रहा। जुलाई के 18 दिन में ही इंदौर में कोरोना के 1215 संक्रमित मिल चुके हैं। इस दौरान सिर्फ 9540 नमूनों की ही जांच हुई। यानी जांचा जाने वाला हर सातवां नमूना संक्रमित निकल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना के नए वैरिएंट के मरीज भारत में मिलने लगे हैं। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग को सैंपलिंग बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। फिलहाल सिर्फ उन्हीं लोगों की जांच हो पा रही है जो स्वत: ही जांच करवाने लैब पहुंच रहे हैं। जिन लोगों को कोरोना के हल्के लक्षण हैं वे तो जांच करवा ही नहीं रहे। स्वास्थ्य विभाग को एक बार फिर सैंपलिंग को लेकर मुहिम चलाना चाहिए। चिंता की बात यह भी है कि इन 18 दिनों के दौरान सिर्फ 814 मरीज ही कोरोना को हरा सके। इस माह के शुरुआत में इंदौर में कोरोना के उपचाररत मरीजों की संख्या 223 थी जो अब बढ़कर 623 हो गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने 3 जून को जारी किया था आदेश
कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 13 जून को स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक आदेश जारी कर सैंपलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए थे। बावजूद इसके कुछ नहीं हुआ। सीएमएचओ डा. बीएस सैत्या का कहना है कि लोग सैंपल देने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। हमने इंदौर में न्यूनतम दो हजार सैंपल रोजाना लेने का लक्ष्य रखा है, लेकिन दिक्कत यह है कि कोरोना संक्रमण की गंभीरता कम होने की वजह से लोग सैंपल देने से कतरा रहे हैं। जिन लोगों को कोरोना के टीके लग चुके हैं वे संक्रमित भी हो रहे हैं तो लक्षण गंभीर नहीं है। यही वजह है कि ज्यादातर लोग संक्रमित होने के बावजूद जांच नहीं करवा रहे हैं। डा. सैत्या ने बताया कि हम सैंपलिंग बढ़ाने को लेकर सतत प्रयास कर रहे हैं। हमने शासकीय अस्पतालों में सैंपलिंग शुरू कर दी है। जरूरत पड़ने पर इस संबंध में अभियान शुरू किया जाएगा।
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