स्क्रब टाइफस- सागर में मिले दो मरीज

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स्क्रब टाइफस- सागर में मिले दो मरीज

बारिश का मौसम आने के बाद इस साल प्रदेश में फिर स्क्रब टाइफस के मरीज मिलने लगे हैं। दो दिन पहले दो मरीज सतना में मिले हैं। इसके अलावा जबलपुर और मंदसौर से कुछ संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेकर जांच के लिए एम्स भोपाल भेजे गए हैं। इसकी रिपोर्ट सोमावार को आने उम्मीद है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के उप संचालक डॉ. शैलेश साकल्ले ने सतना में मरीज मिलने की पुष्टि की है। सागर में इस बीमारी के संदिग्ध मिले हैं। डॉ. साकल्ले के अनुसार बारिश के दिनों में इस बीमारी के ज्यादातर मामले सामने आते हैं। बता दें कि पिछले साल भी इस बीमारी के प्रदेश में करीब 20 मरीज मिले थे, जिन्हें स्क्लब टाइफस होने की पुष्टि हुई थी। जबलपुर में छह साल के एक बच्चे की मौत भी हो गई थी।

ऐसे फैलती है बीमारी

रिकेटसिया नाम जीवाणु से यह बीमारी फैलती है। चूहों में पाए जाने वाले पिस्सुओं ( लार्वा माइट्स) में यह जीवाणु होते हैं। पिस्सुओं के काटने पर जीवाणु मनुष्य के शरीर में पहुंचते हैं। यह बीमारी होने का खतरा उन लोगों को रहते हैं जो जमीन पर लेटते हैं या फिर खेतों में काम करते हैं। पिस्सू शरीर में जिस जगह पर काटते हैं वहां सुराख जैसी दिखती है। आसपास का हिस्सा लाल दिखने लगता है। पपड़ी बन जाती है।

इस बीमारी के लक्षण

पिस्सू के काटने के करीब 10 दिन बाद लक्षण दिखने लगते हैं। संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ सिरदर्द और बदन दर्द होता है। शरीर में चकत्ते दिखाई देते हैं। बीमारी बढ़ने पर महत्वपूर्ण अंग फेल होने का खतरा भी रहता है। शरीर के भीतरी आंगों में खून का रिसाव भी होने लगता है। उसका कोई विशेष इलाज नहीं  है। एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है।

यह रखें सावधानी

  • जमीन पर नहीं लेटें
  • खेतों में काम करने जाएं तो फुल कपड़े पहने
  • कपड़े साफ-सुथरे होना चाहिए
  • पता चले कि कहीं पर कीड़े ने काटा है तो उस जगह को ठीक से धोकर कोई एंटीबायोटिक क्रीम लगा लें