ब्रेन पर अटैक करती है डायबिटिक न्यूरोपैथी जिससे व्यक्ति की सेंस करने की क्षमता हो जाती है कम

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ब्रेन पर अटैक करती है डायबिटिक न्यूरोपैथी जिससे व्यक्ति की सेंस करने की क्षमता हो जाती है कम

लोगों में डायबिटीज अपने साथ ढेरों बीमारियां लेकर आती है, उन्हीं में से एक डायबिटिक न्यूरोपैथी है। ये एक तरह का नर्व डैमेज है, जो व्यक्ति की सेंस यानि महसूस करने की क्षमता को कम कर देता है। हाथों और पैरों पर जब डायबिटिक न्यूरोपैथी का असर दिखता है तो झनझनाहट, सुन्न पड़ना, कमज़ोरी, सुई चुभने जैसा दर्द महसूस हो सकता है। इसके लक्षण जल्दी सामने नहीं आते और आगे चलकर ये कब्ज़ और डायरिया से लेकर हाथ-पैरों में अल्सर और इन्फेक्शन तक का कारण बन जाती है। डायबिटीज की ही तरह इसका भी कोई सटीक इलाज नहीं है। नियमित टेस्ट और देखरेख से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करके ही इससे बचा जा सकता है। तो आइए जान लेते हैं डायबिटिक न्यूरोपैथी के बारे में कुछ जरूरी बातें....

इसके कारण

  • हाई ब्लड शुगर लेवल
  • अत्यधिक मोटापा
  • सिगरेट और शराब का सेवन
  • पुरानी किडनी संबंधी बीमारियां
  • हाई कोलेस्ट्रोल लेवल

इसके लक्षण

  • हार्ट रेट बढ़ना: हेल्थलाइन के अनुसार डायबिटिक न्यूरोपैथी में व्यक्ति का हार्ट रेट बढ़ने लगता है जिससे ब्लड सर्कुलेशन पर भी असर पड़ता है।
  • हाथ-पैर सुन्न पड़ जाना : नर्व डैमेज के चलते हाथ पैर सुन्न पड़ने लगते हैं।
  • अपच, उल्टी, थकान या चक्कर आना: डायबिटिक न्यूरोपैथी पूरी बॉडी को कमज़ोर कर देती है, जिससे डाइजेशन में परेशानी और थकान का सामना करना पड़ता है।
  • पैरों में जलन होना: यदि व्यक्ति को डाइबिटीज है और रात को हाथ पैरों में जलन होती है तो यह डायबिटिक न्यूरोपैथी का संकेत हो सकता है।
  • सेंस ऑफ टच खोना: डायबिटिक न्यूरोपैथी सबसे पहले नर्वस सिस्टम पर असर डालती हैं और नर्व डैमेज का कारण बनती हैं, जिससे हाथ पैरों का सेंस ऑफ टच खोने लगता है।