इंदौर। ब्रिटिश शासन काल में बने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 में 82 साल बाद बदलाव किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने नए ड्रग्स, मेडिकल डिवाइस एंड कॉस्मेटिक बिल 2022 का मसौदा तैयार कर सार्वजनिक कर दिया है। अब दवा उत्पादन, विक्रय, आयात-निर्यात और मेडिकल डिवाइस निर्माण सहित अन्य बिंदुओं को लेकर देश से राय-शुमारी और दावे-आपत्ति लिए जा रहे हैं। हाल ही में मप्र के दवा एवं उपकरण निर्माताओं, विक्रेताओं, निर्यातकों के साथ मसौदा कमेटी के सदस्यों की बैठक हुई। नए एक्ट में नकली और अमानक दवाएं बनाने वालों पर सख्ती के साथ ही ई-फॉर्मेसी (आनलाइन ब्रिकी) के कानून शामिल किए हैं। ड्रग ट्रायल को लेकर नीति स्पष्ट की है। 82 साल पहले बने अधिकांश अनुपयोगी कानून खत्म किए जा रहे हैं। कॉस्टमेटिक्स के कई उत्पादों को इस एक्ट में शामिल किया जा रहा है जबकि कुछ दवाएं फूड एक्ट में शामिल हैं उन्हें भी नए एक्ट में जोड़ा जा रहा है। उम्मीद है इस वर्ष के अंत तक नया एक्ट लागू हो जाएगा।
नए एक्ट के कुछ बिंदुओं पर की संशोधन की मांग
मसौदा कमेटी के सदस्य एवं हरियाणा के पूर्व ड्रग कंट्रोलर नरेंद्र आहूजा की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रदेश के फूड एंड ड्रग कंट्रोलर सुदाम खाड़े मौजूद थे। फेडरेशन आफ मप्र चैंबर आफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीस मप्र ड्रग मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन, मप्र लघु उद्योग भारती, आल इंडिया ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट एसोसिएशन पीथमपुर औद्योगिक संगठन सहित प्रदेश के अन्य प्रमुख संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे। नए एक्ट के कुछ बिंदुओं पर संशोधन की मांग की गई है।
जहां अमानक दवा बने वहां दर्ज होना चाहिए केस
चैंबर आफ कॉमर्स के उपाध्यक्ष हिमांशु शाह का कहना है कि अभी उत्पादन में गड़बड़ी होने पर उस स्थान पर निर्माता पर केस दर्ज होता है जहां से सैंपल लिया गया है। जबकि जहां अमानक दवा बनाई गई वहां केस दर्ज होना चाहिए। क्लीनिकल (ड्रग) ट्रायल में गड़बड़ी करने पर जुर्माना बढ़ाया गया है। कोई व्यक्ति या संस्था चिकित्सा प्रबंधन मुआवजा नहीं देती है तो उसे कारावास की सजा या जुर्माना है। कारावास एक साल तक बढ़ाया जा सकता है। जबकि जुर्माने की रकम मुआवजे की राशि से दोगुनी की गई है।
बैठक में प्राइस कंट्रोल पर भी की गई चर्चा
बैठक में प्राइस कंट्रोल पर भी चर्चा की गई। केमिस्ट एसो. के अध्यक्ष राजीव सिंघल ने ईफॉर्मेसी नीति में एक्सपायरी डेट और नकली दवाओं की बिक्री के अलावा प्राइस कंट्रोल के बिंदु जोड़े जाने की बात कही। लघु उद्योग भारती के अमित चावला ने मेडिकल डिवाइस उत्पादन को लेकर एक्ट में अलग से परिभाषित करने के फैसले को सही बताया है। पीथमपुर औद्योगिक संघ के सचिव दर्शन कटारिया भी बैठक में थे।
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