इंदौर। आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल में 13 सितंबर 2022 को हिंदी मास पर आनलाइन के माध्यम से संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय "सिकल सेल रोग के कारण, लक्षण एवं उपाचर" था। संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि सीसीआरएच आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सदस्य एवं होम्योपैथिक फिजिशियन प्रो. डॉ एके द्विवेदी शामिल हुए। जिन्होंने संगोष्ठी के विषय पर अपने विचार रखें और सिकल सेल के घातक परिणाम बताते हुए सिकल सेल रोग की रोकथाम के लिए मार्गदर्शन दिया।
बीमारी की रोकथाम के लिए मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यो को सराहा भी आपने आपने संबोधन में मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगू भाई पटेल तथा देश केप्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की भी इस बीमारी को लेकर चिंता एवं प्रयासों की सराहना की। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया असामान्य हीमोग्लोबिन के कारण होने वाली खून की एक आनुवंशिक विकार है। सिकल सेल एनीमिया अनुवांशिक डिसआर्डर है। यह वंशानुगत डिसआर्डर भी है। सिकल सेल एनीमिया एक प्रकार का रक्त विकार है जिसमें लाल रक्त कोशिकाएं सी शेप, सिकल शेप या अर्धचंद्राकार में बदल जाती है। जो हमारे शरीर के छोटे वेसल्स में चलने व आक्सीजन ले जाने की क्षमता और रक्त प्रवाह की मात्रा को कम करता है। वहीं सिकल सेल प्रमुख रूप से दो प्रकार से होता है। जिसमें एक है सिकलसेल वाहक (सिकल ट्रेट) और दूसरा है सिकल धारक (सिकल सेल एनीमिया)। वहीं बात करे इसके होने की तो सिकल सेल लाल रक्त कोशिकाओं का जीवन काल मात्र 10-20 दिनों का होता है और अस्थि मज्जा (बोन मैरो) उन्हें तेजी से पर्याप्त मात्रा में बदल नहीं पाती है जिसके कारण शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की समान्य संख्या और हीमोग्लोबीन की कमी हो जाती है। सिकल सेल रोग के लक्षण की बात करें तो यह आमतौर पर लगभग 6 से 8 महीने की उम्र में दिखाई देते हैं। और ये एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होते हैं और समय के साथ बदल सकते हैं। आपने कहा कि जिन जिलों में सिकल सेल एनीमिया के रोगी ज्यादा हैं वहाँ पर विवाह के पूर्व सभी के ब्लड टेस्ट करवाएं जाएं ताकि भविष्य में इन बीमारियों को आगे बढ़ने से रोका जा सके।
आपने सिकल सेल एनीमिया के लक्षणों की भी विस्तार से चर्चा की जिनमे थकान, कमज़ोरी, चिड़चिड़ापन, रक्ताल्पता, उतावलापन, बिस्तर गीला होना, पीलिया, हाथ और पैरों में सूजन व दर्द, संक्रमण, सीने में दर्द, पीठ दर्द, कमर दर्द पैर या हाथ दर्द आदि बताया। इसके अलावा सिकल सेल एनीमिया रोगी में ए वी एन (A Vascular Necrosis) की समस्या भी काफी देखने को मिलती है इसपर भी होम्योपैथिक दवा काफी कारगर है । रोगी को कोल्ड वेदर में काफी ज्यादा परेशानियां होती है। इसलिए सही जानकारी और सही कपड़े पहनने से इसके इफैक्ट को कम किया जा सकता है। कोल्ड के वेदर में और रात में खुद को गर्म रखना चाहिए। इसके लिए रोगी को पूरी तरह से एसी और कुल को त्यागना चाहिए साथ ही ठंडे पानी में भी नहीं तैरना चाहिए। इसके अलावा सिकल सेल एनीमिया के रोगी में आक्सीजन सेचुरेशन की कमी होती है।
डॉ. एके. द्विवेदी ने संगोष्ठी में कुछ उदाहरण देते हुए बताया कि देवास निवासी एक छात्रा तथा उसका भाई सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित है जिसको वे समय समय पर इस बीमारी से लड़ने और सामान्य जीवन कैसे जिया जाए उसके लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं। डॉ. द्विवेदी ने सिकल सेल एनीमिया के एक मरीज के बारे में होम्योपैथी द्वारा चिकित्सा किए जाने और शीघ्र परिणाम मिलने के अपने अनुभव को भी साझा किया। आपने बताया कि बुरहानपुर का एक मरीज जिसकी उम्र 22 वर्ष थी और वजन मात्र 33 किलो था। उसने डॉ. द्विवेदी को पहली बार 20 मई 2022 को दिखाया था उस व्यक्त तक उसका हिमोग्लोबिन कभी भी 11 से ऊपर नहीं गया था। पुनः जब वहीं मरीज 17 जून 2022 को दिखाने आया तब उसका वजन 40 किलो और हिमोग्लोबिन बढ़कर 12 पहुंच गया था और उस मरीज को किसी भी प्रकार की परेशान नहीं थी। इस तरह से होम्योपैथी इलाज से सिकल सेल एनीमिया की बीमारी से पीड़ित कई मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है भले ही बीमारी अभी तक पूरी ठीक नहीं हुई हो। डॉ. एके द्विवेदी ने बताया कि हमारे सेंटर पर बड़ी संख्या में सिकल सेल पीड़ित मरीज आते हैं जिन्हें होम्योपैथिक इलाज और उसके साथ योग के माध्यम से रोगी की पेराशानियों को काफी हद तक राहत दिलाई जा रही है। आपने कहा कि होम्योपैथिक दवाए के साथ ही योग भी सिकल सेल एनीमिया पीड़ित को काफी राहत देता है। क्योंकि योग एवं आसन शरीर में आक्सीजन सेचुरेशन को बढ़ाने में कारगर उपाय है।
आपने कहा कि ज्यादा आयरन लेने से मरीजों को बचना चाहिए; सिकल सेल के रोगी में हिमोग्लोबिन की कमी होती रहती है तो इसके लिए कुछ घरेलू उपाय बताये जिनसे हिमोग्लोबिन को बढ़ाया जा सकता है। उसमें अनार, बीट रूट, मैथी, टमाटर, फलियां, डेट्स/नट्स, सभी अनाज, दूध-दही एवं पनीर तथा लौकी का सूप, कैला, मीट, मछली, अंडे का सेवन करने से हिमोग्लोबिन को बढ़ाया जा सकता है।
संगोष्ठी की अध्यक्षता हिंदी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो. खेमसिंह डेहरिया ने की। संगोष्ठी के निर्देशक विश्वविद्यालय के कुलसचिव यशवंत सिंह पटेल, संयोजक समाज विज्ञान संकाय के विभागाध्यक्ष/संकायाध्यक्ष प्रो. राजीव वर्मा, सहसंयोजकद्वय हिंदी विभाग की प्रभारी डॉ. अनीता चौबे व भाषा एवं अनुवाद विभाग की प्रभारी डॉ. कमलिनी पशीने थीं। कार्यक्रम के प्रभारी डॉ. सिद्धार्थ शुक्ला व सविता बागड़े थे।
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