नई व्यवस्थाः मेडिकल की पढ़ाई 16 अक्टूबर से हिंदी में भी होगी, किताबें भी तैयार की

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नई व्यवस्थाः मेडिकल की पढ़ाई 16 अक्टूबर से हिंदी में भी होगी, किताबें भी तैयार की

इंदौर। हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू करने वाले मध्यप्रदेश देश का पहला प्रदेश बनने जा रहे हैं। 16 अक्टूबर से एमजीएम सहित प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में भी शुरू कर दी जाएगी। नई व्यवस्था के तहत हिंदी में छपी किताबें भी इंदौर के एमडीएम मेडिकल कॉलेज में पहुंच गई है। अब अगले सत्र से एमबीबीएस में तीन विषय बायोकेमिस्ट्री, फिजियोलाजी और एनाटामी हिंदी में पढ़ाए जाएंगे। इसके लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज में तैयारी हो चुकी है। किताबें भी तैयार हैं जिनसे अगले सत्र में प्रथम वर्ष के विद्यार्धियों को पढ़ाई जाएंगी। कॉलेज प्रबंधन के अनुसार हिंदी में केवल उन्हीं को पढ़ाया जाएगा जो इसका चयन करेंगे। विद्यार्थियों के लिए हिंदी पढ़ाई की अनिवार्यता नहीं रहेगी।

मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने इसकी पुष्टि करने हुए बताया कि हिंदी की इन किताबों को विभिन्न मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों द्वारा ही तैयार किया गया है। ऐसे में हिंदी में पढ़ाई के लिए कोई परेशानी नहीं आएगी। मेडिकल के अनेक विद्यार्थी हिंदी माध्यम से आते हैं। ऐसे में मेडिकल की पुस्तकें अंग्रेजी में होने के कारण उन्हें पढ़ाई में परेशानी आती थी। इन विद्यार्थियों को मेडिकल की किताबें हिंदी में उपलब्ध होने से अब उन्हें पढ़ाई में मदद मिलेगी। इसके अलावा जो हिंदी की किताबें तैयार की गई है उनमें मेडिकल के अनेक शब्दों को जस का तस रखा गया है ताकि विद्यार्थियों को आसानी से समझ में आ सके। वहीं इंदौर एमजीएम मेडिकल कॉलेज में प्रथम वर्ष के अनेक विद्यार्थियों ने हिंदी में पढ़ाई को लेकर रूचि दिखाई है।

 

16 अक्टूबर तक कर सकेंगे डीफार्मा में आवेदन

इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के फार्मेसी अध्ययनशाला में पहली बार डीफार्मा कोर्स शुरू होगा। इसमें आवेन की तारीख आगे बढ़ाई गई है। पहले 10 अक्टूबर तक पंजीयन होने थे, लेकिन अब 16 अक्टूबर तक विद्यार्थी दस्तावेज जमा कर सकते हैं। अधिकारियों के मुताबिक डीफार्मा कर चुके विद्यार्थियों को बीफार्मा कोर्स के सीधे दूसरे वर्ष में प्रवेश मिल सकेगा। 2022-2023 सत्र के लिए विद्यार्थियों को 60 सीटों पर प्रवेश दिया जा रहा है। विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा के मुताबिक कोर्स की फीस 62 हजार रुपए सालाना रखी है। दो वर्षीय पाठ्यक्रम तैयार किया है। 18 अक्टूबर को आफलाइन काउंसलिंग करवाई जाएगी। प्लेसमेंट के लिए विभाग अस्पताल और फार्मास्युटिकल कंपनियों से संपर्क करने में लगा है।