- इंदौर के होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ. ए.के. द्विवेदी ने हिंदी में लिखी चिकित्सा शिक्षा की किताब
इंदौर । मध्य प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा, हिंदी भाषा की सुविधा उपलब्ध करने की तैयारियां की जा रही हैं। इस तारतम्य में इंदौर के जाने-माने होम्योपैथी चिकित्सक और केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी द्वारा हिंदी `मानव शरीर रचना विज्ञान` किताब लिखी गई है, इसे `मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी` द्वारा प्रकाशित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के प्रयासों से एमबीबीएस (प्रथम वर्ष) में वर्तमान सत्र से ही एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो-केमिस्ट्री जैसे विषयों को अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी में भी पढ़ाये जाने पर सहमति बन चुकी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रयास है कि शिक्षा का माध्यम मातृभाषा ही हो। विद्यार्थी बेशक, अंग्रेजी सीखें लेकिन उन्हें ये गलतफहमी न रहे कि मेडिकल की शिक्षा अंग्रेजी में ही संभव है। पुस्तक `मानव शरीर रचना विज्ञान` के प्राक्कथन में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इस बिंदु को विशेष रूप से उल्लेखित किया है कि भाषा के माध्यमगत दबाव के चलते अनेक विद्यार्थी विषयगत वैशिष्ट्य अर्जित नहीं कर पाते हैं। इसके विपरीत मातृभाषा में शिक्षा सहज ग्राह्य और संप्रेष्य होती है। इसलिए चिकित्सा की उच्च शिक्षा के क्षेत्र में हिंदी पुस्तकों की नितांत आवश्यकता है ।
लेखक डॉ. द्विवेदी बताते हैं कि हिंदी भाषा में मेडिकल की उच्च शिक्षा की पुस्तक लिखने की प्रेरणा उन्हें हिंदी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति रामदेव भारद्वाज और मध्य प्रदेश चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. आर.एस. शर्मा से मिली। उनके ही आग्रह पर हमने पुस्तक को सरल हिंदी भाषा में लिखने का लक्ष्य रखा और अंततः उसे प्राप्त करने में सफल रहे। करीब पौने तीन सौ पेज की इस पुस्तक में मुख्य रूप से मानव शरीर परिचय, अस्थि संस्थान, संधियां, पेशीय संस्थान, तंत्रिका तंत्र, अंतःस्त्रावी संस्थान, रक्त परिसंचरण संस्थान, लसिकीय संस्थान, श्वसन संस्थान, पाचन, उत्सर्जन और प्रजनन संस्थान आदि अध्यायों को समाविष्ट किया गया है।
इस पुस्तक को प्रकाशित करने में अटल बिहारी वाजपेयी, हिंदी विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति खेमसिंह डेहरिया एवं मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक अशोक कड़ेल जी का महत्वपूर्ण सहयोग रहा। डॉ. ए.के. द्विवेदी के साथ इस पुस्तक को लिखने एवं बनाने में डॉ. वैभव चतुर्वेदी एवं डॉ. कनक चतुर्वेदी के भी महत्वपूर्ण सहयोग मिला है।
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