केराटोसिस पिलारिस एक हानिकारक, गैर-संक्रामक प्रकार का त्वचा विकार है, जो मुख्य रूप से शुष्क त्वचा वाले लोगों को प्रभावित करता है। इस रोग को चिकन त्वचा (चिकन स्किन), लाइफन पिलारिस या फोलिक्युलर केराटोसिस के नाम से भी जाना जाता है। केराटोसिस पिलारिस का मूल कारण त्वचा के बालों या रोम में केराटिन बोले जाने वाले प्रोटीन का निर्मित होना है जो कि त्वचा के बालों के रोम के अवरुद्ध करता है।
केराटोसिस पिलारिस के लक्षण
यह आटोसोमल आनुवांशिक रोग है जिसे त्वचा पर खुदरेपन, हल्की लालिमा और मुंहासों जैसी बधाओं की उपस्थिति से पहचाना जाता है। यह अक्सर पीठ एवं बांहों के बाहरी हिस्सों पर दिखाई देता है तथा जांघों, हाथों पैरों और नितंबों या चिकनी त्वचा को छोड़कर शरीर के किसी भी हिस्से पर हो सकता है। यह आमतौर पर शुष्क त्वचा से पीड़ित मरीजों में पाया जाता है। कुछ मामलों में कुछ सूजन या लाली हो सकती है जो बाधाओं के साथ आता है। त्वचा अपनी मूल चमक और रंग खो देती है।
केराटोसिस पिलारिस के कारण
केराटोसिस पिलारिस का मुख्य कारण केराटिन का निर्माण है। एक प्रोटीन है, जो हानिकारक पदार्थों और संक्रमण से त्वचा की रक्षा करता है। केराटिन एक कर्कश प्लग बनाता है, जो त्वचा की सतह पर बाल कूप को अवरुद्ध करता है। इन प्लगों के कारण त्वचा में खुरदरापन और केराटोसिस पिलारिस की समस्या होती है। हमारे शरीर के बालों में मौजूद केराटिन रोम छिद्रों में बंद हो जाते हैं, जो बढ़ते बालों के रोम की ओपनिंग ब्लॉक कर देते हैं। यह केराटोसिस पिलारिस के गठन का कारण बनता है। केराटोसिस पेलारिस का सटीक कारण स्किन एक्सपर्ट के लिए भी अज्ञात है, लेकिन यह त्वचा की स्थिति जैसे एटोपिक डर्मटाइटिस और आनुवंशिक रोग के साथ जुड़ा हो सकता है। डर्मटाइटिस भी जटिल त्वचा रोग है जिसके लक्षण भी लालिमा, सूजन, खुजली, जलन, दर्द है।
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केराटोसिस को रोकने के लिए टिप्स
केराटोसिस पिलारिस रोग बच्चों और किशोरों में आम है और यह आमतौर पर आपके बड़ने होने के साथ अपने आप गायब भी हो जाता है। अब तक इसका कोई सटीक उपचार उपलब्ध नहीं है लेकिन इसे रोकने की कोशिश की जा सकती है। होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार केराटोसिस पिलारिस में राहत के लिए पीड़ित एक माइस्चराइजर और क्रीम का उपयोग कर सकता है जो आपकी त्वचा पर इसके लक्षणों को कम करने में प्रभावी हो सकती है। इसके अलावा होम्योपैथिक चिकित्सा की सहायता से भी राहत पायी जा सकती है। होम्योपैथी दवाईयां काफी सुरक्षित है। इनका शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। हालांकि होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करने से पूर्व अपनी समस्या होम्योपैथिक चिकित्सक को विस्तार से बताकर उनसे सलाह भी ली जा सकती है।
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