एडवांस आयुष वेलफेयर सेंटर द्वारा धन्वंतरि पूजन एवं संगोष्ठी, आयुर्वेद चिकित्सकों का सम्मान समारोह का आयोजन किया गया
इंदौर। एडवांस आयुष वेलफेयर सेंटर द्वारा शनिवार को भगवान धन्वंतरि जयंती के मौके पर श्री विष्णु स्वरुप भगवान धन्वंतरि पूजन संगोष्ठी एवं आयुर्वेदिक चिकित्सक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। ग्रेटर ब्रजेश्वरी स्थित सेंटर पर हुए कार्यक्रम में अतिथियों एवं वक्ताओं ने भगवान धन्वंतरि को लेकर अपने विचार और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के समापन पर स्वस्थ्य पर्यावरण के उद्देश्य से पौधारोपण किया गया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों ने भगवान धन्वंतरि के चित्र पर माल्यार्पण और समक्ष दीप प्रज्जवलन किया। मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन विशेष अतिथि एमआईसी मेंबर एवं पार्षद श्री राजेश उदावत, पूर्व उपाध्यक्ष खनिज निगम मप्र श्री गोविंद मालू, पार्षद श्री राजीव जैन, मनोचिकित्सक कोकिलाबेन हॉस्पिटल, इंदौर डॉ. श्री वैभव चतुर्वेदी थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता सदस्य वैज्ञानिक सलहाकार बोर्ड केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के डॉ. श्री एके द्विवेदी ने की।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. द्विवेदी ने कहा गोधन, गजधन, बाजधन और रतन-धन खान, जब आवै संतोष धन सब धन धूरि समान... ये दोहा हममें से अधिकांश लोगों ने बचपन में कोर्स की किताबों में पढ़ा था। जिसका सार ये है कि संतोष सबसे बड़ा धन है और संतोषी प्रवृत्ति का मनुष्य ही सबसे बड़ा धनवान है। काफी हद तक ये बात सच भी है। लेकिन कोरोना काल के दौरान बनी अत्यंत दयनीय और विषम परिस्थितियों ने सिद्ध कर दिया है कि अच्छी सेहत भी बहुत बड़ी दौलत है। इसके बिना आपको कभी सच्चा आनंद और सुकून नहीं मिल सकता है। इसलिए आज धन्वंतरि जयंती पर मेरी आप सभी से गुजारिश है कि जीवन के बाकी धनों के साथ-साथ अपनी सेहत रूपी दौलत की भी पूरी हिफाजत करें, क्योंकि अच्छा स्वास्थ्य ही आपकी सबसे बड़ी संपदा है। डॉ. द्विवेदी ने कहा कि अब समय आ चुका है कि हम बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों को एक मंच पर लाकर सभी को सेहतमंद जीवन का वरदान दें। क्योंकि कोरोना महामारी की त्रासदी ने साबित कर दिया है कि आपदाकाल में केवल एक ही तरह की चिकित्सा पद्धति के भरोसे नहीं रहा जा सकता है।
प्रख्यात समाजसेवी पद्मश्री जनक पलटा ने संबोधित करते हुए कहा कि संसार में हमारे देवी-देवता श्री विष्णु के अंश है। हमें जो भगवान ने वेद-पुराणों के माध्यम से बताया उन्हें फालो करना चाहिए। डॉ. पलटा ने अपने जीवन के उन विशेष अनुभवों को साझा किया जिनसे आयुर्वेद की महत्ता का पता चलता है।
श्री मालू ने अपने संबोधन में कहा कि हमारे त्योहार पर्व, संस्कृति व परंपरा से जुड़े हैं और हमारे स्वास्थ्य से भी इनका जुड़ाव है। पूरा उत्सव प्रकृति का उत्सव है। भगवान धन्वंतरि के सबसे पहले डॉक्टर हुए। आज पर्व के मौके पर हमें सनातन परंपरा को आगे ले जाने का संकल्प लेना होगा। ताकि पाश्चात सभ्यता का जो रंग चढ़ा है उसे खत्म किया जा सकें। आने वाली पीढ़ी को बताना होगा कि क्या हमारे पर्व है और क्या सभ्यता है।
एमआईसी सदस्य श्री उदावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि एक समय था जब हमारे आयुर्वेद चिकित्सक नब्ज और चेहरा देखकर व्यक्ति का मर्ज बता देते थे। लेकिन आज हमने एक्सरे, एमआरआई को अपना लिया है। मेरा मानना है कि यदि हम अपनी पुरानी चिकित्सा पद्धति को नहीं छोड़ते तो आज हम इतने बीमार नहीं होते। समाज को जागृत करना होगा और पुरानी चिकित्सा पद्धति को पुनः अपनाना होगा। हमें योग, आयुर्वेद को अपनाना होगा।
मनोचिकित्सव डॉ. चतुर्वेदी ने कहा हमारे चिकित्सा क्षेत्र में एक टैग लाइन है वो है हेल्थ इस वेल्थ यानि हेल्थ अच्छी होगी तो आपकी वेल्थ अच्छी रहेगी। क्योंकि आज देखने में आता है कि व्यक्ति कई बातों को लेकर परेशान रहता है और अपनी हेल्थ पर ध्यान नहीं दे पाता। इसमें बहुत से करोड़ों की संपत्ति वाले लोग भी आते हैं जो हेल्थ और वेल्थ को लेकर परेशान रहते हैं।
डॉ. जीके पाराशर ने कहा भगवान धन्वतंरि और उनके साथ के लोग घूम-घूमकर जड़ी-बूटियों का प्रचार करते थे। समुद्र मंथन के व्यक्त अमृत कलश निकला था। उस संदर्भ को जोड़ते हुए श्री पाराशर ने कहा कि आज हमें कुबेर का पूजन करने के साथ ही एक कलश लेना चाहिए जिसका मतलब है कि हमें पानी अधिक पीना चाहिए। श्री पाराशर ने पंचकर्म चिकित्सा से ठीक होने के बाद एक महिला द्वारा दी गई मालवी भाषा की प्रतिक्रिया भी मालवी भाषा में ही कार्यक्रम के दौरान बताई। उन्होंने कहा कि संसार में चिकित्सा से अच्छा कोई पुण्यकर्म नहीं है।
विशेष रुप से उपस्थित कॉउ यूरिन थैरेपी विशेषज्ञ डॉ. वीरेंद्र जैन ने भी गोमूत्र. गोबर और घी से होने वाले फायदों के बताते हुए कहा कि संसार में गोमाता एक चलता-फिरता अस्पताल है। गोमाता के गोमूत्र, गोबर व घी सभी से कई बीमारियों का उपचार किया जा सकता है।
कार्यक्रम के आखिर में आयुर्वेद चिकित्सकों को सम्मानित किया गया। इनमें डॉ. जीके पाराशर, डॉ. प्रदीप कुमार जैन, डॉ. अनिल श्रीवास्तव, डॉ. वीरेंद्रकुमार जैन, डॉ. हेमंत सिंह, डॉ. ऋषभ जैन, डॉ. एमएल अग्रवाल, डॉ. प्रीति हरनोदिया, डॉ. एपीएस चौहान, डॉ. मधुसुदन शर्मा, डॉ. कंचन शर्मा, डॉ. नीरज यादव, डॉ. विमल कुमार अरोरा, डॉ. ज्योति दुबे, डॉ. धर्मेंद्र शर्मा शामिल है। इस अवसर पर डॉ. ऋषभ जैन, राकेश यादव, दीपक उपाध्याय, जितेंद्र जायसवाल, रीना सिंह सहित बड़ी संख्या में विद्वजन, गणमान्य अतिथि, आयुर्वेद के जानकार, स्टूडेंट्स और उनके पैरेंट्स भी उपस्थित थे। संचालन डॉ. विवेक शर्मा ने किया। आभार डॉ. जीतेंद्र पूरी ने माना।
Home |
Set as homepage |
Add to favorites
| Rss / Atom
Powered by Scorpio CMS
Best Viewed on any Device from Smartphones to Desktop.
Post your comment