होम्योपैथिक दवाओं से भी निकाली जा सकती है पथरी

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होम्योपैथिक दवाओं से भी निकाली जा सकती है पथरी

ज की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल, अनहेल्थी खान-पान, दिनचर्या नियमित नहीं होना समय पर भोजन नहीं कर पाना आदि कारणों से व्यक्ति पथरी होने जैसी समस्या से परेशान होता है। हालांकि शरीर में पथरी बनने का कोई स्पष्ट कारण का तो पता नहीं चला है। लेकिन शरीर में अतिरिक्त गर्मी बढ़ने से, गर्म जलवायु से, कम मात्रा में पानी पीने से इत्यादि कारणों से शरीर में जल की कमी होकर डिहाइड्रेशन की स्थिति हो जाती है जिससे पेशाब में कमी व सघनता हो जाती है। इस कारण शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा अधिक हो जाती है, कैल्शियम आक्सलेट पेशाब के माध्यम से बाहर नहीं हो पाता है, इसके अलावा फॉस्फेट, अमोनियम फॉस्फेट, मैग्नीशियम कार्बोनेट आदि तत्व किडनी के नली जमने लगते है जो धीरे-धीरे पथरी का रूप ले लेते हैं। पाचन प्रणाली के खराबी के कारण भी इस प्रकार के दोष होते हैं व पथरी बनते हैं। पथरी की शिकायत सामने आने पर व्यक्ति इसके लिए अनेकों प्रकार के इलाज भी लेता है। लेकिन क्या आपको पता है आज पथरी का होम्योपैथिक इलाज भी संभव है। होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथिक दवाओं का शरीर पर किसी भी तरह का साइड इफैक्ट नहीं होता और यह व्यक्ति की तकलीफ में राहत भी पहुंचाती है। 

हालांकि पथरी कई हिस्से में हो सकते हैं, जैसे किडनी में, मूत्राशय में, गोल ब्लाडर में, पित्ताशय में, पेशाब के नली में इत्यादि। लेकिन किडनी में पथरी के रोग अधिक मिलते हैं। किडनी में पथरी बनने का मुख्य कारण गलत खानपान व कम पानी पीना है। कम पानी पीने से शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है जिससे किडनी में पथरी बनती है।

पथरी के लक्षण

पथरी के बनने पर पेट के निचले हिस्से में, पीठ में या कमर में तीव्र दर्द हो सकता है या चलने-फिरने पर भी दर्द हो सकता है। ये दर्द अचानक होते हैं जो धीरे-धीरे बढ़ कर असहनीय हो जाते हैं। चूँकि पथरी अलग-अलग स्थानों पर बन सकती है इसलिए दर्द का स्थान भी अलग-अलग हो सकता है। कभी-कभी पथरी का आकार छोटा रहने पर दर्द नहीं होता है जिससे पथरी होने का पता भी नहीं चलता है पर जब इसका आकार बढ़ जाता है तब या जब ये पेशाब के रास्ते में आ जाता है तब दर्द का एहसास होता है। पेशाब के रास्ता में पथरी आने पर अचानक भयंकर दर्द होता है और दर्द की तीव्रता बढ़ती जाती है जो जांघ, अंडकोष या महिलाओं में योनि द्वार तक चला जाता है। कभी-कभी मूत्रमार्ग में पथरी फंसने से पेशाब रुक जाता है या पेशाब में खून आने लगता है व पेशाब करते समय दर्द होता है। पथरी होने पर पेशाब का रंग बदल जाता है। पेशाब का रंग लाल, गुलाबी या हल्का भूरा हो जाता है। किडनी में पथरी होने पर पेशाब करते समय दर्द भी होता है व जी मचलने तथा उल्टी की भी शिकायत होती है। पथरी का दर्द इतना भयंकर रहता है कि इसके वजह से मरीज न तो बैठ सकता है न लेट सकता है और न खड़ा ही रह सकता है। इस दर्द में एक बेचैनी सी रहती है।

पथरी से बचाव और उसका इलाज

पथरी से बचने के लिए अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए। भोजन में कैल्शियम व आक्सलेट युक्त पदार्थ का सेवन सीमित मात्रा में ही करनी चाहिए। पथरी होने पर टमाटर, मूली, भिंडी, पालक, बैगन व मीट का सेवन नहीं करना चाहिए। पथरी होने पर एलोपैथी चिकित्सा पद्धति में इसे ऑपरेशन करके या लिथोट्रिप्टर नामक यंत्र से किरण के माध्यम से गलाकर बाहर निकालते हैं। यह अत्यधिक महंगा इलाज है और इससे पथरी निकल तो जाती है पर इससे पथरी बनने की प्रवृति समाप्त नहीं होती है। पर होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति में कई ऐसे चमत्कारी दवाई हैं जिनका लक्षण के आधार पर सेवन करके बिना ऑपरेशन के दवाई द्वारा ही पथरी को निकालकर पथरी बनने के कारण को भी समाप्त किया जा सकता है। पथरी यदि छोटी (समान्यतः 3 मिमी से छोटा) रहती है तो दवाई के प्रयोग से ही यह आसानी से बाहर निकल जाती है। लेकिन पथरी बड़ी रहने पर होमियोपैथी दवा के साथ अन्य आधुनिक उपचार की भी जरूरत होती है। आइये पथरी के लिए उपलब्ध होमियोपैथिक इलाज से संबंधित कुछ दवाओं पर नजर डालें।

पथरी के इलाज के लिए कुछ होमियोपैथिक दवाई

बर्बेरिस बल्गारिस : - किडनी व पित्ताशय दोनों तरह की पथरी के लिए यह उत्तम दवा है। किडनी के जगह से दर्द शुरू होकर पेट के निचले हिस्से तक या पाँव तक दर्द का जाना, हिलने-डुलने या दबाव से दर्द बढ़ना, दर्द कम होने पर रोगी का दाहिने ओर झुकना, म्यूकस युक्त या चिपचिपा लाल या चमकदार लाल कण युक्त पेशाब होना, पेशाब में जलन होना, बार-बार पेशाब होना, पेशाब करने के बाद ऐसा महसूस होना जैसे कुछ पेशाब अभी रह गया हो, पेशाब करने पर जांघ या कमर में दर्द होना इत्यादि लक्षण में इस दवाई का सेवन करना चाहिए।

कैल्केरिया कार्बः - यह दवा दर्द दूर करने का उत्तम दवा है। किडनी के पथरी में इसे दिया जा सकता है। मूत्र नली में पथरी हो या पथरी के जगह पर तीव्र दर्द हो, रोगी को खूब पसीना आ रहा हो आदि लक्षणों में इस दवा का प्रयोग किया जा सकता है।

ओसिमम कैनमः - तुलसी पत्ता से बनने वाली इस औषधि में यूरिक एसिड बनने के प्रवृति रोकने की गुण है अतः यूरिक एसिड से बनने वाली पथरी में यह दवा लाभकारी होता है. पेशाब में लाल कण आता हो, दाहिना तरफ किडनी के जगह पर दर्द हो तो इस दवा का सेवन किया जा सकता है।

लाइकोपोडियमः- पेशाब होने से पहले कमर में तीव्र दर्द होना, दायें किडनी में दर्द व पथरी होना, मूत्रमार्ग से मूत्राशय तक जानेवाला दर्द होना, बार-बार पेशाब जाने की इच्छा होना, पेशाब में ईंट के चुरा जैसा लाल पदार्थ निकलना, किसी शीशी में पेशाब रखने पर नीचे लाल कण का जम जाना व पेशाब बिल्कुल साफ रहना, पेशाब धीरे-धीरे होना आदि लक्षणों में इस दवाई का सेवन करना चाहिए।

सारसापेरिलाः - बैठकर पेशाब करने में तकलीफ होना व बूंद-बूंद पेशाब उतरना जबकि खड़े होकर पेशाब करने में आसानी से पेशाब उतरना, पेशाब का मटमैला होना व पेशाब में सफेद पदार्थ निकलना, पेशाब के अंत में असह्य दर्द होना व गर्म चीजों के सेवन से यह दर्द बढ़ना आदि लक्षणों में इस दवाई का सेवन करना चाहिए।

नोटः- इस लेख में दी गईं दवाओं के प्रयोग से पहले आप होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। ताकि आपको आपनी बीमारी अथवा परेशानी का सही इलाज मिले और आपको राहत मिल सकें।