अपने नवजात शिशु की देखभाल के लिए हर मां चिंतित रहती है और वह इसके लिए हर संभव कोशिश भी करती है। खासतौर से जब शिशु पहली बार सर्दी के मौसम का सामना कर रहा हो तो मां को भी कई बार समझ में नहीं आता कि वह अपने बच्चे को इस मौसम में होने वाली समस्याओं से कैसे बचाए....
सर्दी के मौसम में वायरस और बैक्टीरिया बहुत तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूर्णतः विकसित नहीं होती। इसलिए ये वायरस बहुत तेजी से उनके शरीर पर हमला करते हैं। बच्चों के शरीर में मौजूद एंटीबॉडीज और बैक्टीरिया के बीच संघर्ष होता है तो इसी की प्रतिक्रियास्वरूप उन्हें सर्दी-जुकाम, बंद नाक, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, गले और कान में इनफेक्शन जैसी समस्याएं देखने को मिलती है। बच्चों में होने वाली इस समस्या को सीजनल एफेक्टेड डिसॉर्डर (एसएडी) कहा जाता है।
दरअसल सर्दी के मौसम को लेकर लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां बनी हुई है। अकसर लोग ऐसा समझते हैं कि इस मौसम में बच्चे ज्यादातर बीमार ही रहते हैं। पर सच्चाई यह है कि यह मौसम स्वास्थ के लिए बहुत अच्छा होता है। अगर आप इन बातों का ध्यान रखें तो इस मौसम में भी आपका शिशु स्वस्थ रहेगा।
क्या करें....
क्या न करें
चिकित्सक से सलाह लेकर करें होम्योपैथिक उपचार
वहीं बच्चों में सर्दी के उपचार में कुछ होम्योपैथिक दवाएं प्रायः उपयोग में लाई जाती है। होम्योपैथिक चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी दवाईयां काफी सुरक्षित है। इनका शरीर पर किसी भी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। हालांकि होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करने से पूर्व होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लेकर ली जा सकती है। हालांकि कुछ लक्षण और उसमें उपयोग में लाई जाने वाली दवाएं निम्न है...
नोटः- इस लेख में बताई गईं दवाओं के प्रयोग से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। ताकि आपको आपनी बीमारी अथवा परेशानी का सही इलाज मिले और आपको राहत मिल सकें।
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