आजकल की भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल के दौर में व्यक्ति खुद की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दे पाता है। ऐसे में कई बार उसे अनेकों प्रकार की बीमारियां घेर लेती है। व्यक्ति इन बीमारियों के कारण स्वस्थ्य नहीं रहता और उसके लिए दवाओं पर निर्भर हो जाता है। लेकिन कई बार कुछ रोग ऐसे होते हैं जिनमें व्यक्ति को उम्र पर दवा खानी पड़ती है। एक ऐसा ही रोग के मरीजों की समस्या बढ़ती जा रही है और वो है थायरॉइड की बीमारी। होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार ऐसे में क्या किसी भी रोग के लिए जिंदगीभर दवाई खाते रहना सही इलाज होता है क्या जबकि थायरॉइड की समस्या होम्योपैथिक दवा से कुछ समय में ठीक हो जाती है। तो आइए जानते हैं क्या है थायरॉइड और इसके इलाज में होम्योपैथिक दवा कितनी कारगर है...
क्या है थायरॉइड और उसके प्रकार
प्रत्येक मनुष्य के गले के सामने के भाग में तितली के आकर की एक ग्रंथि होती है, जिसे थायरॉइड ग्लैंड कहते हैं। इससे हॉर्मोंस स्त्रवण होते हैं। T3 यानी त्रिआईडोथायरॉनिन और T4 यानी थायरॉक्सिन मुख्य हॉर्मोन होते हैं और इन हॉर्मोन्स को ब्रेन की पिट्यूटरी ग्लैंड से स्त्रावित थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (थायरॉइड स्टिम्यूलेट हॉर्मोन) नियंत्रित करता है। T3 और T4 शरीर में ऑक्सिजन के उपयोग की मात्रा को बढ़ाते हैं। इन हॉर्मोन्स के अलावा केल्सिटॉनिन नामक हार्मोन भी स्त्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम और फास्फेट को नियंत्रित करता है। ये हार्मोन्स शरीर में बहुत सी क्रियायों को नियंत्रित करते हैं जैसे ग्रोथ, डेवलपमेंट, मेटाबॉलिजम, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना आदि।
बात करें थायरॉइड बीमारी के प्रकार की तो ये करीब 7 प्रकार के होते हैं। इसमें घेंघा जो शरीर में आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है जिसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन आ जाता है। हाइपरथयरॉडिज्म इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का बहुत ज्यादा स्त्राव होता है। हाइपोथायरॉडिज्म इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का स्त्राव कम होता है। ग्रेव्स डिजीज इसमें थायरॉइड ग्लैंड हॉर्मोन बनाने के लिए बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाते हैं। थायरॉडईटिस इसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन और जलन के कारण दर्द होता है। थायरॉइड कैंसर इसमें थायरॉइड ग्लैंड का कैंसर हो जाता है और आखिरी है थायरॉइड नोड्यूल इसमें थायरॉइड ग्लैंड में गांठ हो जाती है। वहीं थायरॉइड होने की बात करें तो इसके मुख्य कारण है हॉर्मोन्स की गड़बड़ी, शरीर में आयोडीन की मात्रा सही होने के बाद भी नमक के माध्यम से शरीर में अतिरिक्त आयोडीन जाना और किसी दवाई के साइड इफेक्ट भी थायरॉइड होने का कारण बन सकता है।
थायरॉइड होने के लक्षण
थायरॉइड को निम्न लक्षण से पहचाना जा सकता है। इसमें हैं कब्ज होना, डिप्रेशन, शरीर का तापमान बढ़ना, भूख ज्यादा लगना, हाथों मे कंपन होना, पसीना ज्यादा आना, बाल सफेद होना व झड़ना, थकान होना, चिड़चिड़ाहट होना, खुजली होना, सांस लेने में तकलीफ होना, नर्वस होना, व्यक्ति की धड़कन कम होना व बढ़ना, वजन बढ़ना, हाई ब्लडप्रेशन, त्वचा रूखी होना, चेहरे पर सूजन रहना, महिलाओं में पीरियड्स से संबंधित तकलीफ होना, मसल्स में कमजोरी और अकड़न, नींद की समस्या आदि शामिल है।
थायरॉइड की समस्या को ठीक कर सकती है होम्योपैथिक दवाएं
डॉ. एके द्विवेदी कहते हैं थायरॉइड जैसी बीमारी के लिए क्या जीवनभर दवाएं खाना कहां तक उचित है जब होम्योपैथिक दवा से थायरॉइड की समस्या में राहत पाई जा सकती है या ठीक हो सकता है। हालांकि थायरॉइड एक जटिल रोग होता है इसलिए खुद से इलाज न करते हुए एक कुशल होम्योपैथिक डॉक्टर की देखरेख में उपचार करना चाहिए ताकि होम्योपैथिक दवाएं आपको राहत दे। कुछ होम्योपैथिक दवाएं है जिन्हें थायरॉइड के उपचार के लिए दिया जा सकता है इसमें है फाईटोलक्का बेरी, केल्केरिया कार्ब, नेट्रम म्यूर, थायरॉइडीनम, आयोडम शामिल है। लेकिन इन होम्योपैथिक दवाओं का सेवन खुद से ना करें। क्योंकि होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक मरीज की दवा उसकी शारीरिक व मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। इसलिए बगैर चिकित्सकीय परामर्श यहां बताई गई दवा का उपयोग न करें।
नोटः- इस लेख में बताई गईं दवाओं के प्रयोग से पहले आप अच्छे होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। ताकि आपको आपनी बीमारी अथवा परेशानी का सही इलाज मिले और आपको राहत मिल सकें।
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