चिकित्सा जगत में निरंतर हो रहे प्रगति के सभी उजले दावों के बावजूद दुनिया में कैंसर के लगभग 60 प्रतिशत केसेस भारत में पाए जाते हैं। कैंसर सबसे भयानक रोगों में से एक है, कैंसर के रोग की परंपरागत औषधियों में निरंतर प्रगति के बावजूद इसे अभी तक अत्यधिक अस्वस्थता और मृत्यु के साथ जोड़ा जाता है। और कैंसर के उपचार से उनके दुष्प्रभाव जुड़े हुए हैं। कैंसर के मरीज कैंसर पेलिएशन, कैंसर उपचार से होने वाले दुष्प्रभावों के उपचार के लिए या शायद कैंसर के उपचार के लिए भी अक्सर परंपरागत उपचार के साथ-साथ होमियोपैथी चिकित्सा के लिए निरंतर हमारे दवाखाने पर मरीज नियमित रूप से आते रहते हैं।
दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए होम्योपैथी चिकित्सा
रेडिएशन थैरेपी, कीमोथैरेपी और हॉर्मोन थैरेपी जैसे परंपरागत कैंसर के उपचार से अनेकों दुष्प्रभाव पैदा होते हैं। ये दुष्प्रभाव हैं- संक्रमण, उल्टी होना, जी मितलाना, मुंह में छाले होना, बालों का झड़ना, अवसाद (डिप्रेशन), और कमजोरी महसूस होना। होम्योपैथी उपचार से इन सभी लक्षणों और दुष्प्रभावों को नियंत्रण में लाया जा सकता है। रेडियोथैरेपी के दौरान अत्यधिक त्वचा शोध (डर्मटाइटिस) के लिए टॉपिकल केलेंडुला जैसा होम्योपैथी उपचार और कीमोथैरेपी इंडुस्ड स्टोमेटाइटिस के उपचार में आर्सेनिक अलबम का प्रयोग असरकार पाया जाता है। होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी उपचार सुरक्षित हैं और कुछ विश्वनीय शोधओं के अनुसार कैंसर और उसके दुष्प्रभाव के इलाज के लिए होम्योपैथी उपचार असरकारक है। यह उपचार आपको आराम दिलाने में मदद करता है और तनाव, अवसाद, बैचेनी का सामना करने में आपकी मदद करता है। यह अन्य लक्ष्णों और उल्टी, मुंह के छाल, बालों का झड़ना, अवसाद और कमजोरी जैसे दुष्प्रभावों को घटाता है। ये औषधियां दर्द को कम करती हैं, उत्साह बढ़ाती है और तंदुरस्ती का बोध कराती है, कैंसर के प्रसार को नियंत्रित करती है और प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। कैंसर के रोग के लिए एलोपैथी उपचार के उपयोग के साथ-साथ होम्योपैथी चिकित्सा का भी एक पूरक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। सिर्फ होम्योपैथी दवाईयां या एलोपैथी उपचार के साथ-साथ होम्योपैथी दवाईयां ब्रेन ट्यूमर, अनेक प्रकार के कैंसर जैसे की गाल, जीभ, भोजन नली, पाचक ग्रंथि, मलाशय, अंडाशय, गर्भाशयः, मूत्राशय, ब्रेस्ट और प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर के उपचार में उपयोगी पाई जा रही है।
चूंकि होम्योपैथी उपचार चिकित्सा का एक संपूर्ण तंत्र सिर्फ अकेली बीमारी को ही नहीं, बल्कि व्यक्ति को एक संपूर्ण रूप में देखता है। कैंसर के मरीज कैंसर पेलिएशन, कैंसर उपचार से होने वाले दुष्प्रभावों के उपचार के लिए या शायद कैंस के उपचार के लिए भी अक्सर परंपरागत उपचार के साथ साथ होम्योपैथी चिकित्सा को भी जोड़ते हैं। यदि आप कैंसर के एक रोगी हैं और कैंसर के लिए या एलोपैथी इलाज से होने वाले दुष्प्रभावों के इलाज के लिए होम्योपैथी चिकित्सा का उपयोग करना चाहते हैं तो कृपया अपने चिकित्सक को इस बात की जानकारी अवश्य दें। यदि आप कैंसर के लिए होम्योपैथी की दवाईयां ले रहे हैं तो अपने एलेपैथिक चिकित्सक को अवश्य बता दें।
मोटापे की सर्जरी एवं कैंसर से बचाव
मोटापा एवं कैंसर का गहरा रिश्ता है। यह बात विगत कुछ वर्षों से वैज्ञानिकों की नजर में आई जब उन्होंने मोटो लोगों में कई प्रकार के कैंसर जैसे पित्ताशय पेनक्रियाज, बच्चादानी एवं किडनी का होना व उनसे होने वाली मृत्यु दर का प्रतिशत अधिक पाया गया। इसकी एक वजह उन्होने शरीर में इन्सुलीन रेजिस्टेंस का होना पाया जो कि आमतौर पर मोटापे के साथ होता है। अब समय मोटापे से जुड़े इन कैंसर रोगों के बचाव का है जिससे इस लाइलाज रोग से बचा जा सके। सारे विश्व में मोटापे की सर्जरी की समीक्षा की गई और यह पाया गया कि सर्जरी के बाद मरीज का वजन करीब 25-60 किलोग्राम कम होने पर कैंसर होने की संभावना भी कम होती है। वजन कम होने पर शरीर मे ंहॉर्मोन का संतुलन ठीक होता है जिससे कैंसर से बचाव होता है। मोटापे की सर्जरी से जिन कैंसर रोगों का बचाव होते हैं वे निम्न प्रकार के हैं....
मोटापे की सर्जरी करवाना अब काफी आसान हो गया है। यह सर्जरी दूरबीन पद्धति द्वारा की जाती है। पेट में केवल 2-3 एमएम के छोटे छिद्रों द्वारा यह ऑपरेशन कर दिया जाता है। ऑपरेशन के 8-10 घंटे बाद मरीज चल फिर सकता है एवं 2-3 दिन में उसे अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। मरीज अपनी नियमित दिनचर्या पर सर्जरी से 3 दिन बाद जा सकता है।
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