आज के समय में हर व्यक्ति भागदौड़ में लगा है। हमारे पास खुद के लिए समय ही नहीं रहता हैं। न समय पर खाना और न सोना। प्रकृति के विपरीत चलना तो मानो फैशन बन गया हैं। नतीजा, तरह-तरह की बीमारियां। माइग्रेन भी इसी जीवनशैली का परिणाम हैं। होम्योपैथी चिकित्सक और केंद्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जिसमें सिर के एक तरफ (दाहिनी या बायीं) दर्द होता है। यह दर्द कुछ घंटे से ले कर कुछ दिन तक रहता है। इसे हिंदी में आधाशीशी या अधकपारी भी कहते हैं। माइग्रेन का कोई समय निश्चित नहीं होता, यह कभी तो जल्दीजल्दी भी होता है, तो कभी महीनों में होता है। ज्यादा पुराना होने के कारण कुछ लोगो को माइग्रेन का पहले से पता चल जाता हैं। कभी-कभी अधिक दर्द के कारण उल्टी हो जाती हैं, जिससे दर्द में आराम आ जाता है।
माइग्रेन के कुछ प्रमुख कारण
आनुवांशिक कारण, कब्ज या पेट की खराबी, हारमोन्स में परिवर्तन, महिलाओं में पीरियड्स की गड़बड़ी, ब्रेन के केमिकल्स में बदलाव, नींद पूरी न होना, दिनचर्या में बदलाव, तनाव, गर्भ निरोधिक गोलियों की वजह से, गलत खान-पान, वातावरण में बदलाव आने के कारण। माइग्रेन पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा होता है। यह 14 साल की उम्र से ले कर 40 साल की उम्र के लोगों को अधिक होता है।
माइग्रेन के लक्षण - सिर में एक तरफ (दायी या बायीं) ओर तेज दर्द, दर्द कुछ घंटे से लेकर कुछ दिन तक रहना, उल्टी होना या जी मचलना, तेज रोशनी या आवाज सहन ना होना, उल्टी होने पर दर्द कम होना, अंधेरे में अकेले चुपचाप बैठना अच्छा लगना, चिड़चिड़ाहट होना या गुस्सा आना, नींद ना आना, धूप में जाने पर तकलीफ होना, आंखों के ऊपर (आइब्रो पर दर्द) होना, कब्ज या दस्त रहना, आंखों के आगे अंधेरा छाना या अजीब सी आकृतियां दिखना, बार-बार पेशाब होना। होम्योपैथी चिकित्सक डॉ. एके द्विवेदी के अनुसार होम्योपैथी उपचार सुरक्षित हैं। माईग्रेन के लिए होम्योपैथिक में बहुत सी दवाएं हैं, जिन्हें कुछ समय तक लेने से माईग्रेन की समस्या हमेशा के लिए ठीक हो जाती हैं। जानकारी हेतु यहां पर कुछ होम्योपैथिक दवाए बताई गई हैं। कृपया खुद उपचार न करें, क्योंकि होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर किया जाता है।
नेट्रम-म्यूर
किसी भी मानसिक परेशानी के कारण होने वाला सिरदर्द, धूप में जाने पर होने वाला सिरदर्द। सूरज उगने से ले कर डूबने तक सिरदर्द होता है। उसके बाद ठीक हो जाता हैं। एनीमिया के कारण होने वाला सिरदर्द, खास कर किशोरावस्था में होने वाला सिरदर्द, दर्द एक निश्चित समय पर होता हैं, जो लेटने या सोने जाने पर कम हो जाता है।
साइलिशिया
उपवास करने के कारण सिरदर्द होता है, ठंड में ज्यादा तकलीफ होती है, सिर में अत्याधिक पसीना आता है। आखों में तेज दर्द होता है, गर्दन के पिछले भाग में दर्द होता है। कुपोषण के कारण होने वाला सिरदर्द। पीरियड्स के समय ज्यादा तकलीफ होती हैं।
काफिया
अचानक खुशी या किसी दु:ख के कारण माइग्रेन होने। शोर या किसी प्रकार की गंध से सिरदर्द बढ़ जाना, सिर में असहनीय दर्द होना। नींद न आना।
ब्रायोनिया
दायीं तरफ सिरदर्द हो, जो कि हिलने-डुलने पर ज्यादा बढ़ जाए, यहां तक कि आंख खोलने तक में दर्द होता है। मरीज चुपचाप अंधेरे कमरे में लेटे रहना चाहता हैं। चिड़चिड़ापन, जी मिचलाना और चक्कर आना।
स्पाईजेलिया
बायीं ओर सिरदर्द होना, बहुत तेज दर्द जो बायीं आंख के ऊपर आईब्रो पर ज्यादा होता है। रोशनी और शोर बर्दाश्त नहीं होता, चक्कर आते रहते हैं।
नोटः- इस लेख में बताई गईं दवाओं के प्रयोग से पहले आप अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें। ताकि आपको आपनी बीमारी अथवा परेशानी का सही इलाज मिले और आपको राहत मिल सकें।
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