इंदौर। स्वास्थ ही जीवन है, जीवन का आधार है. और बिना पौधों के जीवन ही बेकार है। पौधे हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसी मैसेज के साथ विश्व स्वास्थ्य दिवस पर इन्दौर भ्रमण पर आए श्रीकृष्णाय देसी गोरक्षा शाला, हरिद्वार के संचालक स्वामी ऋषभ देवानन्द व स्वामी हरिओमानन्द ने एडवांस योग एण्ड नेचुरोपैथी हॉस्पिटल परिसर में स्थित प्राकृतिक उद्यान में औषधीय पौधों का रोपण किया। स्वामीजी ने बताया कि, ऑक्सीजन की आपूर्ति से लेकर औषधियों के निर्माण तक में इन पौधों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
इस मौके पर शहर के प्रतिष्ठत होम्योपैथिक चिकित्सक व केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसन्धान परिषद्, आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) में वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने बताया कि प्राचीन सभ्यताओं में भारत औषधीय पौधों के समृद्ध भंडार के रूप में जाना जाता है। भारतीय वनों में औषधीय और सुगंधित पौधों का प्रमुख भंडार है, जिन्हें बड़े पैमाने पर दवाओं और सुगंधित उत्पादों के निर्माण के लिए कच्चे माल के रूप में एकत्र किया जाता है। भारत में आयुष प्रणालियों में लगभग 8,000 हर्बल उपचारों को संहिताबद्ध किया गया है। आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और लोक (आदिवासी) औषधियाँ स्वदेशी औषधियों की प्रमुख प्रणालियाँ हैं। इन पद्धतियों में आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा भारत में सबसे अधिक विकसित और व्यापक रूप से प्रचलित हैं।
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